बैलिस्टिक मिसाइलों में लगे ये सबम्यूनिशन, जिनमें से प्रत्येक में करीब 5.5 पाउंड (2.5 किलोग्राम) विस्फोटक थे, वो करीब 16 किलोमीटर व्यास के क्षेत्र में गिरे। यह पहली बार है या नहीं जब ईरान ने इजरायल पर हमलों में क्लस्टर म्यूनिशन पेलोड के साथ बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है, यह फिलहाल साफ नहीं है। लेकिन इन बमों ने इजरायल में भयानक तबाही मचाई है।
ईरान ने इजरायल पर कौन सी बैलिस्टिक मिसाइल दागी?
ईरान ने नये हमले में कौन सी बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है, फिलहाल इसका पता नहीं चल पाया है। लेकिन लेकिन शक गहराता जा रहा है कि ये ईरान कीखोर्रमशहर-4 या जिसे खैबर भी कहा जाता है, नाम की मिसाइल हो सकती है। हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल जो फुटेज दिखाए जा रहे हैं, वो साल 2023 में किए गये मिसाइल टेस्ट के दौरान की हैं, ना कि ताजा हमलों के। फिर भी एक्सपर्ट्स का मानना है कि खोर्रमशहर-4 ईरान की सबसे शक्तिशाली MRBM (Medium Range Ballistic Missile) है, जिसकी रेंज 2,000 किलोमीटर तक मानी जाती है। ये मिसाइल करीब 1,500 किलो से ज्यादा का पेलोड ले जाने में सक्षम है, जो क्लस्टर म्यूनिशन जैसी युद्ध टेक्नोलॉजी के लिए सबसे शानदार हो सकता है।
खोर्रमशहर सीरीज का डिजाइन नॉर्थ कोरिया के Hwasong-10 या BM-25 मिसाइल पर आधारित है, जो खुद सोवियत Scud टेक्नोलॉजी से प्रेरित है। ये मिसाइल काफी तेज स्पीड वाली होती है और काफी तेजी से इसे लॉन्च किया जा सके, इसके लिए इसमें ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसे रोकना अत्यंत मुश्किल बन जाता है। तरल ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में ठोस ईंधन वाली मिसाइलों को लॉन्च करने में काफी कम वक्त लगता है। ईरान ने खोर्रमशहर परिवार की कई मिसाइलों का टेस्ट किया है, जिनमें से सबसे हाल ही में खोर्रमशहर-4/खेबर है, जिसे 2023 में सार्वजनिक रूप से पेश किया गया था। उस समय, खोर्रमशहर-4 के बारे में कहा गया था कि इसकी मैक्सिमम सीमा अभी भी 2 हजार किलोमीटर के आसपास है। लेकिन अब संभावना जताई गई है कि इसका रेंज उससे भी ज्यादा हो सकती है।

इजरायल में ईरानी मिसाइलों ने मचाई तबाही
Shahab-3, Emad और Ghadr मिसाइलों का क्लस्टर वर्जन
ईरान के पास पहले से ही Shahab-3 सीरीज की कई MRBMs हैं जो क्लस्टर वारहेड ले जाने में सक्षम मानी जाती हैं। Emad और Ghadr (या Qadr) मिसाइलें इन्हीं Shahab-3 मिसाइलों का एडवांस वैरिएंट है। जिन्हें पिछले हफ्ते इजरायल पर दागा भी गया है और पोस्ट-स्ट्राइक मलबे से इस बात की पुष्टि भी हुई है। ये मिसाइलें मीडियम रेंज में मार करती हैं और इनकी सटीकता सीमित मानी जाती है। ऐसे में अगर क्लस्टर म्यूनिशन ऐसी मिसाइलों में लगाई जाती है तो ऐसी मिसाइलें काफी ज्यादा खतरनाक बन जाती हैं, क्योंकि इनकी सटीकता का रेंज 1.5 किलोमीटर के दायरे में होता है। यानि एक ही मिसाइल कई लक्ष्यों को एकसाथ निशाना बना सकती है। द वॉर जोन की रिपोर्ट में FDD (Foundation for Defense of Democracies) के वरिष्ठ विश्लेषक बेनहम बिन तालेब्लू ने कहा है कि “मिसाइल की बॉडी कम मायने रखती है, असली फर्क उसका वारहेड लाता है।”
क्लस्टर म्यूनिशन का मतलब होता है एक ही वारहेड में दर्जनों छोटे-छोटे विस्फोटक लगाकर हमला करना, जो बड़े इलाके में गिरकर तबाही मचा सकते हैं। यह हथियार सिस्टम खास तौर से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बेहद जानलेवा साबित हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर कोई डिफेंस सिस्टम मिसाइल को इंटरसेप्ट करने से चूक जाए और वारहेड हवा में फट जाए, तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ सकता है। ईरान के ताजा हमले में यही देखने को मिला है। वारहेड 7 किमी की ऊंचाई पर फट गये, जिससे 16 किमी के दायरे में विस्फोटक फैल गये और भयानक तबाही का मंजर देखने को मिला है। इसके अलावा, अगर क्लस्टर म्यूनिशन मिसाइल को दूसरी यूनिटरी वारहेड वाली मिसाइलों के साथ मिलाकर एक सैल्वो में छोड़ा जाए, तो यह डिफेंस सिस्टम के लिए ‘डिकॉय’ जैसा काम करता है और एयर डिफेंस सिस्टम के लिए फिर इसे इंटरसेप्ट करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। इजरायल पर हुए हमले में यही देखने को मिला है।
इमाद और गदर मिसाइलें साल 2010 के दशक के मध्य में सेवा में आए और दोनों को लगभग 1700 से 1800 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। ईरान ने गदर का एक विस्तारित-रेंज वैरिएंट भी विकसित किया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी अधिकतम पहुंच 2,000 किलोमीटर के करीब या उससे ज्यादा है। इसके अलावा, इमाद और गदर, दोनों ही मिसाइलें पैंतरेबाजी में माहिर हैं और इजरायल के लिए ये सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है। ऐसे में अगर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल को बर्बाद करने की धमकी दी थी, तो अब पता चल रहा है कि ईरान की तरकश में कौन कौन सी मिसाइले हैं और इजरायल में आने वाले दिनों में कितनी तबाही मचने वाली हैं।
इजरायली डिफेंस सिस्टम की नाकामी की वजह समझिए
ईरान ने इस हमले में Sejjil, Haj Qassem, Kheibar Shekan और Fattah-1 जैसे अन्य अत्याधुनिक मिसाइलों के इस्तेमाल का दावा किया है। ये सभी ठोस ईंधन आधारित मिसाइलें हैं, जिन्हें हाई स्पीड और टर्मिनल फेज में पैंतरेबाजी के लिए डिजाइन किया गया है। Fattah-1 को ईरान हाइपरसोनिक स्पीड वाली मिसाइल कहता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह एक MaRV (maneuverable re-entry vehicle) है, न कि पारंपरिक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल। ईरान के हालिया मिसाइल हमलों में देखा गया है कि वो मिसाइल सैल्वो का इस्तेमाल कर रहा है। इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम परिवार में Arrow, David Sling और Iron Dome जैसे एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं, लेकिन अब देखने को मिल रहा है कि ये काफी कम प्रभावी साबित हो रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह क्लस्टर म्यूनिशन वारहेड्स हो सकती है, जो काफी ऊंचाई पर फट जाते हैं, जिससे इंटरसेप्ट करने की संभावना बेहद कम हो जाती है। इसके अलावा ईरान ने कई प्रकार की मिसाइलें एकसाथ छोड़कर इजरायली डिफेंस सिस्टम को कनफ्यूज करने की रणनीति पर काम किया है, जिससे इजरायल में घातक असर देखने को मिल रहा है।