डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में व्यापक हिंसा के मद्देनजर बड़े पैमाने पर घुसपैठियों के भारत में घुसने की आशंका के चलते भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि चूंकि पड़ोसी देश की सुरक्षा एजेंसियां अपने यहां की स्थिति को नियंत्रित करने में बहुत व्यस्त हैं, आइएसआइ समर्थक संगठन भारत में बड़े पैमाने पर घुसपैठ की साजिश रच रहे हैं। व्यवस्था ध्वस्त करने की स्पष्ट मंशा के साथ ये संगठन लाखों लोगों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने की फिराक में हैं।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बंगाल में आगामी चुनाव के नजदीक होने से घुसपैठ कराने की पुरजोर कोशिश होगी। यह सावधान रहने का समय है। बंगाल में चुनाव के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने हिंसा की भी आशंका जताई है। आइएसआइ इस परि²श्य का फायदा उठाएगी और फिर उस समय बड़ी संख्या में घुसपैठियों को भारत में धकेलने की कोशिश करेगी।
बांग्लादेश में अशांति के चलते भारत में घुसपैठ का खतरा
अधिकारियों का कहना है कि यह एक बहुत ही भयावह साजिश है जो बांग्लादेश में रची जा रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस स्थिति को बहुत सावधानी से संभालना होगा। बड़ी संख्या में घुसपैठ कराकर व्यवस्था को पंगु करने की कोशिश के साथ आइएसआइ उसी समय अधिक से अधिक आतंकवादियों को भी धकेलने की कोशिश करेगी।
एक ही समय में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या दोनों को घुसपैठ कराने की साजिश है। एक ओर जहां आइएसआइ बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर, वह इन क्षेत्रों में कई आतंकवादियों को भेजना चाहती है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद आइएसआइ ने बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाया है।
ISI समर्थित संगठन रच रहे हैं भयावह साजिश
उसने दर्जनों आतंकवादियों को भारत में भेजने के विशेष इरादे से उन्हें प्रशिक्षित भी किया है। खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी का कहना है कि घुसपैठ का खतरा असम, त्रिपुरा और बंगाल में नदी मार्गों तथा कम ²श्यता वाले मार्गों पर है।
अधिकारी ने कहा, ये तत्व इन क्षेत्रों में वन क्षेत्र का भी फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। बांग्लादेश में आइएसआइ समर्थित संगठनों ने विगत कई महीनों में बड़ी संख्या में रो¨हग्याओं की पहचान की और उनकी आर्थिक तंगी का फायदा उठाया।
उन्हें उठाया जाता है और फिर ट्रेनिंग कैंप में भेज दिया जाता है। उनमें से अधिकांश को आतंक-संबंधी गतिविधि में प्रशिक्षित किया गया है।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल से अधिक समय से बन रहे इन कैंपों में हजारों हताश बांग्लादेशी और रो¨हग्या रहते हैं। उन्हें पैसों का लालच दिया जाता है और फिर किसी आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए फंसा दिया जाता है।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)