न्यूयॉर्क स्थित मीडिया स्वतंत्रता संगठन, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे), ने इस्राइली हवाई हमले में छह फलस्तीनी पत्रकारों की मौत पर नाराजगी जाहिर की और इसे पत्रकारों की उनके काम के लिए जानबूझकर की गई हत्या बताया। हाल ही में इस्राइली हमले में गाजा में छह पत्रकारों की मौत हो गई थी। इस्राइली अधिकारियों ने बताया कि वे अल जजीरा के 28 वर्षीय रिपोर्टर अनस अल शरीफ को निशाना बना रहे थे। इस्राइल का दावा है कि अनस हमास का नेता था और उस पर इस्राइली नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ रॉकेट हमले करने का आरोप है।
इस्राइल ने किया बड़ा दावा
इस्राइल ने बाकी पांच लोगों के बारे में कोई दावा नहीं किया, उनमें से तीन अनस अल शरीफ के अल जजीरा के सहयोगी और अन्य दो स्वतंत्र पत्रकार थे। एक्स पर साझा एक पोस्ट में, इस्राइली सैन्य प्रवक्ता ने कहा, ‘हमले से पहले, हमें खुफिया जानकारी मिली थी जिससे पता चलता है कि शरीफ अपनी हत्या के समय हमास की सैन्य शाखा का एक सक्रिय सदस्य था।’ इस्राइली सैन्य प्रवक्ता ने भी एक्स पर तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें अल-शरीफ को अक्टूबर 2023 में इस्राइल पर हुए हमले के समय हमास मास्टरमाइंड याह्या सिनवार के साथ गले मिलते हुए दिखाया गया था।
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‘गाजा में स्वतंत्र जांच के लिए पत्रकारों को जाने की इजाजत मिलनी चाहिए’
इस्राइल का कहना है कि उसके पास और भी गोपनीय सबूत हैं जिनमें और भी ज्यादा गंभीर जानकारी शामिल हैं। सीपीजे ने इस पर कहा कि पूरी जानकारी देखे बिना दावों की पुष्टि करना असंभव है, लेकिन तस्वीर अपने आप में कोई सबूत नहीं है। कई वरिष्ठ पत्रकार उन लोगों के साथ सेल्फी लेते हैं जिनका उन्होंने साक्षात्कार लिया है, इनमें कुछ बहुत ही अप्रिय व्यक्ति भी शामिल हैं। कई लोगों के पास चरमपंथियों के फोन नंबर भी होंगे। सीपीजे ने कहा कि इस्राइल सही भी हो सकता है और हो सकता है कि अल-शरीफ हमास के लिए काम कर रहा था। अगर वह ऐसा है, तो इस्राइली अधिकारियों को स्वतंत्र जांचकर्ताओं को जांच के लिए गाजा जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
सीपीजे ने कहा कि 7 अक्तूबर के हमलों के बाद से अब तक 190 मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं। पत्रकारों के लिए यह अब तक का सबसे घातक संघर्ष है। सीपीजे ने 24 पत्रकारों की पहचान की है जिन्हें निशाना बनाया गया था और काम करने के लिए उनकी हत्या की गई।