ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने पुलिस को विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के इरादे से बयान देने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। आव्हाड पर कुछ वर्ष पहले नफरती भाषण देने का आरोप है। न्यायिक मजिस्ट्रेट महिमा सैनी ने तीन फरवरी को दिए आदेश में भयंदर पुलिस को पूर्व मंत्री के खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (2) (विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
किसने दायर की याचिका?
यह आदेश ‘हिंदू टास्क फोर्स’ संगठन के संस्थापक एवं वकील खुश खंडेलवाल की ओर से दायर एक अर्जी पर पारित किया गया। अर्जी में कहा गया कि यह मामला अगस्त 2018 का है, जब मुंबई आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पालघर जिले के नालासोपारा से गौरक्षक वैभव राउत को गिरफ्तार किया था और उसके पास से देसी बम कथित तौर पर बरामद किए थे। याचिका में दावा किया गया कि जब जांच जारी थी, तब आव्हाड ने बिना किसी सबूत के बयान दिया कि बमों का इस्तेमाल आंदोलनकारी मराठा कार्यकर्ताओं के खिलाफ किया जाएगा।
किसने किया एफआईआर दर्ज करने से इनकार
जब भयंदर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, तो खंडेलवाल ने 2019 में ठाणे मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने स्वीकार किया कि आव्हाड का बयान प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध की ओर इशारा करता है लेकिन अधिकार क्षेत्र के अभाव में कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। खंडेलवाल ने मजिस्ट्रेट के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में निचली अदालत के वर्ष 2019 के आदेश को खारिज कर दिया और मजिस्ट्रेट को खंडेलवाल की उस अर्जी पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया, जिसमें आव्हाड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया था।