लेबनानी ग्रुप हिज़्बुल्लाह की फंडिंग को लेकर फिर से जांच की जा रही है. ये जांच इस ग्रुप से जुड़े एक वित्तीय संगठन पर पिछले साल के आख़िर में इसराइली हवाई हमलों के बाद शुरू की गई है.
हिज़्बुल्लाह लेबनान में सबसे शक्तिशाली सशस्त्र बल है और एक प्रभावशाली शिया मुस्लिम राजनीतिक दल भी है. लेबनानी संसद और सरकार दोनों में इसकी महत्वपूर्ण मौजूदगी है.
इसराइल और कई पश्चिमी देशों ने हिज़्बुल्लाह को ‘आतंकवादी संगठन’ के तौर पर प्रतिबंधित किया है.
ये ग्रुप 1980 के दशक में इसराइल के विरोध में उभरा, जिसकी सेनाओं ने देश के 1975-1990 के गृहयुद्ध के दौरान दक्षिणी लेबनान पर कब्ज़ा कर लिया था.
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पिछले साल अक्तूबर में, इसराइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने अल-क़र्द अल-हसन (एक्यूएएच) की कई शाखाओं पर हमला किया. आईडीएफ ने आरोप लगाया कि यह संगठन ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह की गतिविधियों के लिए फंडिंग जुटाने का ज़रिया है.
एक्यूएएच ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वो एक नागरिक इकाई है, जो ज़रूरतमंद लोगों को छोटे कर्ज़ देता है.
2024 में लेबनान में हिज़्बुल्लाह और इसराइल के बीच दो महीने से अधिक समय तक चले टकराव ने उन क्षेत्रों में व्यापक विनाश किया, जहां ईरान समर्थित इस ग्रुप की मज़बूत उपस्थिति है.
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ये लड़ाई युद्ध विराम समझौते से खत्म हुई, ये समझौता 27 नवंबर को लागू हुआ. इसके बाद पड़ोसी सीरिया में असद शासन का पतन हुआ.
इन घटनाओं का हिज़्बुल्लाह की फंडिंग और सैन्य उपकरण हासिल करने की क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.
बीबीसी न्यूज़ अरबी ने लेबनान और वैश्विक स्तर पर हिज़्बुल्लाह की आय के मुख्य स्रोतों के साथ-साथ उसके वित्तीय नेटवर्क के बारे में जो कुछ भी पता है, उसका आकलन किया.
हिज़्बुल्लाह का ईरान से संबंध
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2022 में, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अनुमान लगाया कि ईरान ने हिज़्बुल्लाह को सालाना 700 मिलियन (70 करोड़) डॉलर तक की धनराशि दी.
हिज़्बुल्लाह के दिवंगत नेता हसन नसरल्लाह सितंबर 2024 में एक इसराइली हवाई हमले में मारे गए थे. उन्होंने 2016 में एक भाषण में दावा किया था कि ग्रुप की फंडिंग मुख्य तौर पर ईरान से होती है. हसन नसरल्लाह ने कोई वित्तीय आंकड़े नहीं बताए थे.
उन्होंने कहा था, “हमारा बजट, वेतन, खर्चा, खाना, पानी, हथियार और मिसाइलें इस्लामी गणराज्य ईरान से आते हैं.”
ईरान अपने शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के जरिए हिज़्बुल्लाह की फंडिंग करता है. आईआरजीसी ने 1980 के दशक में हिज़्बुल्लाह की स्थापना में मदद की थी.
आईआरजीसी हिज़्बुल्लाह के हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता भी है, जिनमें उन्नत मिसाइलें और ड्रोन शामिल हैं.
वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी की वरिष्ठ फेलो हानिन ग़ड्डर के मुताबिक भले ही अतीत में हिज़्बुल्लाह के बजट का ज़्यादातर हिस्सा ईरान से आया हो, लेकिन अब यह ग्रुप दूसरे स्रोतों पर निर्भर हो रहा है.
ग़ड्डर बताती हैं, “ईरान पर प्रतिबंधों के कारण, ईरानी हिज़्बुल्लाह को अब उतनी धनराशि नहीं भेज सकते हैं.”
‘हिज़्बुल्लाह: द ग्लोबल फ़ुटप्रिंट ऑफ़ लेबनान्स पार्टी ऑफ़ गॉड’ के लेखक मैथ्यू लेविट के अनुसार, इस ग्रुप को मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई अवैध वित्तीय गतिविधियों के जरिए ईरान से पैसे मिलते हैं.
अल-क़र्द अल-हसन
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अल-क़र्द अल-हसन (एक्यूएएच) एक ऐसा संगठन है जिस पर हिज़्बुल्लाह के लिए मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है.
यह संगठन हिज़्बुल्लाह के सामाजिक सेवा नेटवर्क का एक अहम हिस्सा बन गया है. 20 अक्तूबर को इसके दफ़्तरों पर इसराइली हवाई हमलों से पहले, इसकी 30 से ज़्यादा शाखाएं थीं, जो आवासीय इमारतों के ग्राउंड फ्लोर पर थीं.
इस संगठन ने लोगों को सोना या किसी की ओर से गारंटी दिए जाने के बदले अमेरिकी डॉलर में छोटे, ब्याज-मुक्त कर्ज़ दिए. उनका बचत खाता खोला.
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नसरल्लाह ने 2021 में एक भाषण में कहा था कि एक्यूएएच ने 1980 के दशक की शुरुआत में अपनी स्थापना के बाद से लेबनान में 1.8 मिलियन (18 लाख) लोगों को 3.7 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया है और उस समय लगभग तीन लाख लोगों ने एएक्यूएएच से पहले से कर्ज़ ले रखा था.
‘हिज़्बुल्लाह: द पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ लेबनान्स पार्टी ऑफ गॉड’ के लेखक और शिक्षाविद जोसेफ डाहेर के अनुसार, “बैंक का मकसद लाभ कमाना नहीं है. यह मुख्य रूप से अपने समर्थन आधार को वित्तीय मदद देता है.”
डाहेर आगे कहते हैं, “हालांकि, इसके (एक्यूएएच के) हिज़्बुल्लाह की अनौपचारिक आर्थिक गतिविधियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की संभावना है.”
एक्यूएएच पर हमला करने के तुरंत बाद इसराइल ने हिज़्बुल्लाह पर ‘अपनी आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए इस संगठन का इस्तेमाल करने’ का आरोप लगाया था.
अमेरिका ने भी साल 2007 में एक्यूएएच पर प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिकी अधिकारियों ने तब कहा था कि हिज़्बुल्लाह ने अपनी वित्तीय गतिविधियों का प्रबंधन करने और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली तक पहुंच के लिए इस संगठन का इस्तेमाल कवर के तौर पर किया.
एक्यूएएच की प्रतिक्रिया
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एक्यूएएच ने हिज़्बुल्लाह के साथ उसके संबंधों के बारे में किए गए दावों को लेकर बीबीसी को जवाब दिया.
इसमें कहा गया कि एक्यूएएच हिज़्बुल्लाह की वित्तीय शाखा नहीं है. एक्यूएएच ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से भी इनकार किया.
एक्यूएएच की ओर से कहा गया कि वो हिज़्बुल्लाह के व्यापक संस्थागत ढांचे का हिस्सा है, जो वित्तीय लेन-देन या निवेश की बजाय मानवीय मदद और सेवा पर केंद्रित है.
एक्यूएएच ने अपने दावे पर जोर दिया कि ईरान सहित विदेशी संगठनों या सरकारों के साथ उसका कोई सीधा संबंध नहीं है.
एक्यूएएच ने जवाब दिया, “हम हिज़्बुल्लाह की संस्थागत प्रणाली का हिस्सा हैं, लेकिन हमारा ध्यान मानवीय और सेवा पहलुओं पर है, न कि वित्तीय संचालन पर. हमारा किसी भी विदेशी संगठन, ईरानी या अन्य किसी से कोई संबंध नहीं है.”
संगठन ने पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और मानवीय सहायता पर अपने ध्यान को दोहराया. साथ ही, संगठन को लेकर जताई गई चिंताओं को ‘गलतफहमी’ कहा.
स्पाइडरजेड हैकर्स
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कई न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक दिसंबर 2020 में स्पाइडरजेड नाम के एक ग्रुप ने एक्यूएएच के खातों को हैक कर लिया था. इससे कथित कर्ज़दारों और जमाकर्ताओं की लिस्ट जैसी संवेदनशील जानकारी सामने आई. साथ ही, इसकी शाखाओं से कथित सुरक्षा फुटेज भी मिले.
वाशिंगटन स्थित फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (एफडीडी) का कहना है कि हैक किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि एक्यूएएच चार लाख से अधिक खातों का प्रबंधन करता है. एफडीडी ने दावा किया कि इनमें से कई हिज़्बुल्लाह के सहयोगी और ईरान से जुड़े हैं.
एफडीडी खुद को गैर-पक्षपाती बताता है और ये भी कहता है कि वो किसी भी सरकार से दान नहीं लेता है. हालांकि, एफडीडी ईरान और हिज़्बुल्लाह को अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए खतरा मानता है.
‘वली अल-फ़कीह’ नाम से एक खाते को कथित तौर पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के कार्यालय से संबंधित बताया गया है.
एफडीडी ने बताया कि खामेनेई से जुड़ी संस्थाएं, जैसे कि लेबनानी ग्रुप शहीद फाउंडेशन भी एक्यूएएच के साथ खाते रखता है.
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एक्यूएएच ने साल 2020 में ‘सीमित’ घुसपैठ की घटना की पुष्टि की थी, लेकिन अपनी गतिविधियों और अपने कुछ ग्राहकों की पहचान के बारे में किए गए दावों का खंडन किया.
बीबीसी की ओर से सवाल किए जाने पर एक्यूएएच ने इस बात की पुष्टि या खंडन नहीं किया कि क्या वह अली खामेनेई से जुड़े खातों का प्रबंधन करता है. हालांकि, संगठन ने बताया कि लेबनानी क्षेत्र के अंदर कोई भी व्यक्ति खाता रख सकता है, जिसमें दान के लिए खाते भी शामिल हैं.
संगठन ने बीबीसी को यह भी बताया कि लेबनानी ग्रुप शहीद फाउंडेशन के साथ इसके अच्छे संबंध हैं क्योंकि फाउंडेशन हिज़्बुल्लाह की सामाजिक सेवा संस्थाओं का हिस्सा है.
एक्यूएएच ने कहा कि यह बाहरी वित्तीय संस्थाओं के साथ काम नहीं करता है और विदेश से धन नहीं लेता है.
इसने बताया कि लेबनान में कोई भी निवासी इसके द्वारा दिए जाने वाले कर्ज़ से लाभ उठा सकता है, और इसी तरह, कोई भी निवासी योगदान खाता खोल सकता है और ‘धर्मार्थ और धार्मिक उद्देश्यों के लिए’ धन जमा कर सकता है.
अफ्रीका से संबंध
फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (एफडीडी) के अनुसार, 2020 के हैक किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि एक्यूएएच के पास लेबनान के बाहर, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में रहने वाले लोगों के खाते हैं.
वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी की हानिन ग़ड्डर बताती हैं, “हिज़्बुल्लाह के कई अफ्रीकी देशों में बहुत से व्यापारिक साझेदार हैं.”
वह आगे कहती हैं, “वे हीरे और कला व्यवसायों सहित सभी तरह के उद्योगों में शामिल हैं.”
2019 में, अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने कला संग्रहकर्ता नाज़ेम सईद अहमद पर प्रतिबंध लगााया. ये आरोप लगाया गया कि वो हिज़्बुल्लाह को दान देने वाले शीर्ष लोगों में शामिल हैं.
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अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी कहा कि अहमद के ” ‘ब्लड डायमंड’ व्यापार से लंबे समय से संबंध हैं.”
नाज़ेम सईद अहमद के ठिकाने की कोई जानकारी नहीं है.
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लैटिन अमेरिका से संबंध
हिज़्बुल्लाह पर लैटिन अमेरिका में नशीले पदार्थों की तस्करी से पैसे कमाने का भी आरोप है.
संयुक्त राष्ट्र के थिंक टैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में वेनेजुएला में की गई जांच में कथित तौर पर कई मिलियन डॉलर के नशीले पदार्थों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग योजना का पता चला.
यूनाइटेड नेशन्स इंटररीजनल क्राइम एंड जस्टिस रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूनिक्री) के अनुसार, हिज़्बुल्लाह की योजना का संबंध कोलंबिया के फार्क चरमपंथी समूह और वेनेजुएला के कार्टेल से था.
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यूनिक्री ने यह भी बताया कि चरमपंथी समूह ने अर्जेंटीना, ब्राजील और पैराग्वे के त्रि-सीमा क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति विकसित की है.
पिछले कुछ दशकों में, अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने उन देशों के कई व्यक्तियों और व्यवसायों पर प्रतिबंध लगाए हैं, उन पर हिज़्बुल्लाह के वैश्विक वित्तीय नेटवर्क का समर्थन करने का आरोप लगाया है.
2023 में अमेरिका की ओर से प्रतिबंधित किए जाने वाले लेबनानी व्यवसायी हसन मौकल्ड का कहना है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए ऐसे प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित हैं.
मौकल्ड ने बीबीसी न्यूज अरबी को बताया, “असली उद्देश्य हिज़्बुल्लाह के आर्थिक आधार को अस्थिर करना और क्षेत्र में अमेरिका समर्थित आर्थिक मॉडल के किसी भी विकल्प को बाधित करना है.”
अनुबंध, तस्करी और क्रिप्टो
हिज़्बुल्लाह कथित तौर पर कई अन्य तरीकों से धन जुटाता है.
‘हिज़्बुल्लाह: द ग्लोबल फुटप्रिंट ऑफ लेबनान्स पार्टी ऑफ गॉड’ के लेखक लेविट ने बीबीसी न्यूज अरबी को बताया, “हिज़्बुल्लाह लेबनानी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य सेवा क्षेत्रों के जरिए बहुत अधिक धन कमाने में सक्षम रहा है.”
लंदन स्थित थिंकटैंक चैटहम हाउस 2021 के एक शोध पत्र के अनुसार, लेबनान में ढीले वित्त और सार्वजनिक अनुबंध कानून से हिज़्बुल्लाह को फ़ायदा होता है.
इसमें कहा गया है कि हिज़्बुल्लाह सार्वजनिक अनुबंधों के लिए बोली लगाने और उसे जीतने के लिए अपने साथ जुड़ी निजी कंपनियों का इस्तेमाल करता है.
इसी शोध से पता चलता है कि दिसंबर 2024 में पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाए जाने से पहले हिज़्बुल्लाह ने सीरिया के साथ सीमा पार डीजल ईंधन की तस्करी करके हर महीने लगभग 300 मिलियन (30 करोड़) डॉलर कमाए थे.
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वहीं 2023 की बीबीसी की जांच ने ग्रुप को कई अरब डॉलर के अवैध कैप्टागन ड्रग व्यापार से जोड़ा था.
दो साल पहले, हिज़्बुल्लाह ने ड्रग के उत्पादन में उसकी भूमिका के आरोपों को ‘फर्जी खबर’ बताते हुए खारिज़ कर दिया था.
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जून 2023 में, इसराइल के तत्कालीन रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने हिज़्बुल्लाह से कथित रूप से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी की पहली जब्ती की घोषणा की थी.
इसराइली आतंकवाद निरोधी वित्तपोषण ब्यूरो ने लगभग 1.7 मिलियन (17 लाख) डॉलर की ट्रॉन क्रिप्टोकरेंसी जब्त की थी. गैलेंट ने कहा था कि इनमें से कुछ हिज़्बुल्लाह और ईरान के कुद्स फोर्स के थे.
नवंबर 2023 में, रॉयटर्स ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स-पंजीकृत ट्रॉन के प्रवक्ता हेवर्ड वोंग के हवाले से समाचार एजेंसी को बताया कि सभी तकनीकों का “सिद्धांत रूप में संदिग्ध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.”
वोंग ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किए जा रहे अमेरिकी डॉलर का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि ट्रॉन का उसकी तकनीक का इस्तेमाल करने वालों पर नियंत्रण नहीं है और यह इसराइल की ओर से पहचाने गए समूहों से जुड़ा नहीं है.
एक साल बाद, अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने लेबनान के एक मनी एक्सचेंजर पर प्रतिबंध लगा दिया, उस पर ईरानी तेल बिक्री से धन प्राप्त करने के लिए हिज़्बुल्लाह को डिजिटल वॉलेट देने का आरोप लगाया गया था
बीबीसी न्यूज़ अरबी ने हिज़्बुल्लाह से इस लेख पर टिप्पणी करने का अनुरोध किया, जिस पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित