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Lucknow:उत्तर-प्रदेश में न जहरीला सिरप, न मौतें, कोडीन पर कार्रवाई अवैध डाइवर्जन के खिलाफ, न कि दवा के खिलाफ – No Poisonous Syrup No Deaths In Uttar Pradesh Action Against Codeine Is Against Illegal Diversion Not Against

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Dec 23, 2025


देश के कुछ राज्यों में जहरीले कफ सिरप से जुड़ी घटनाओं के बाद कोडीन युक्त कफ सिरप को लेकर भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश का तथ्यात्मक पक्ष बिल्कुल स्पष्ट और निर्विवाद है। प्रदेश में न तो कोडीन युक्त कफ सिरप से किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है और न ही किसी प्रकार की कफ सिरप या नशीली दवाओं का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। इसके बावजूद, दवाओं के अवैध डाइवर्जन और बिना चिकित्सकीय पर्ची बिक्री के माध्यम से नशे का कारोबार करने वाले संगठित नेटवर्क के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक की सबसे कठोर और समन्वित कार्रवाई शुरू की है। सरकार का रुख पूरी तरह स्पष्ट है कि कफ सिरप एक वैध दवा है, लेकिन उसका दुरुपयोग और गैरकानूनी बिक्री अपराध है।

दवा वैध पर दवा का दुरुपयोग है अपराध, अवैध डाइवर्जन पर सीधा प्रहार

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि माफिया गैंग्स फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारी मात्रा में कफ सिरप एकत्र करते थे और उसे नशे के उद्देश्य से खुले बाजार में बिना प्रिस्क्रिप्शन बेचने के लिए डाइवर्ट करते थे। इस अवैध श्रृंखला में सुपर स्टॉकिस्ट, थोक विक्रेता और रिटेलर तक की भूमिका सामने आई है। कुछ मामलों में अंतर्राज्यीय स्तर पर इस नेटवर्क की सक्रियता भी पाई गई है। इसी नेक्सस को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया, एक साथ कई जिलों में छापेमारी कराई और दोषियों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत सख्त मुकदमे दर्ज किए गए। अवैध स्टॉक जब्त किया गया, गोदाम सील किए गए और दवा आपूर्ति प्रणाली की गहन जांच शुरू की गई है। इसके साथ ही, शेड्यूल एच श्रेणी की अन्य दवाओं जैसे सेडेटिव और स्लीपिंग पिल्स की बिना प्रिस्क्रिप्शन बिक्री रोकने के लिए भी निरंतर कार्रवाई की जा रही है।

भ्रम से अलग तथ्य, सुरक्षा सर्वोपरि

यह भी पूरी तरह स्थापित तथ्य है कि उत्तर प्रदेश में किसी बच्चे की मृत्यु कफ सिरप के कारण नहीं हुई है। हाल में मध्य प्रदेश में सामने आया मामला तमिलनाडु में बने नकली कफ सिरप से जुड़ा था, जिसकी जांच केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है और वह प्रकरण उत्तर प्रदेश से पूरी तरह अलग है। प्रदेश जिन मामलों पर कार्रवाई हो रही है, वे दवाओं की अवैध स्टॉकिंग, गैरकानूनी डाइवर्जन और बिना प्रिस्क्रिप्शन बिक्री से जुड़े हैं, न कि दवा की वैधता से । इसके बावजूद कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भ्रामक सूचनाएं फैलाकर प्रदेश की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।

सरकार का उद्देश्य साफ है कि मरीजों को दवाइयां वैध और सुरक्षित तरीके से उपलब्ध रहें और नशे का कोई भी अवैध नेटवर्क उत्तर प्रदेश की धरती पर पनपने न पाए। प्रदेशभर में जमीनी स्तर तक प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई इसी संकल्प को मजबूती दे रही है।

 

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