पीटीआई, छत्रपति संभाजीनगर। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफा परिसर की गुफा संख्या 32 में पानी के रिसाव से वहां नौवीं शताब्दी के भित्ति चित्रों को खतरा पैदा हो गया है।
रिसाव प्राकृतिक रूप से शुरू हुआ
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि रिसाव प्राकृतिक रूप से शुरू हुआ था और पिछले साल भी ऐसी ही समस्या देखी गई थी।
एलोरा गुफा परिसर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल
छत्रपति संभाजीनगर से 30 किलोमीटर दूर स्थित एलोरा गुफा परिसर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। इसमें हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित गुफाओं का एक समूह है।
रिसाव को रोकने के लिए काम की जरूरत
हाल में जैन गुफा संख्या 32 देखने आए एक पर्यटक ने बताया कि पिछले साल जब ऐसी ही समस्या देखी गई थी, तो कुछ काम करवाया गया था। उन्होंने कहा कि रिसाव को रोकने के लिए और काम करने की जरूरत है क्योंकि इससे चित्रों को नुकसान पहुंच सकता है।
एएसआई के एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि रिसाव प्राकृतिक रूप से हुआ है। हमने इस समस्या के समाधान के लिए संरक्षण विभाग को पहले ही पत्र लिखा है। इसकी समीक्षा की जाएगी।
रिसाव के स्रोत का पता लगाने के लिए पहले भी निरीक्षण किया गया
एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि रिसाव के स्रोत का पता लगाने के लिए पहले भी निरीक्षण किया गया था, लेकिन क्षेत्र बड़ा होने के कारण इसका सटीक पता लगाना मुश्किल था।
जल्द से जल्द ठीक करना होगा पानी की रिसाव
विरासत संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन ‘इंटेक’ के सह-संयोजक स्वप्निल जोशी ने कहा कि एलोरा, अजंता की गुफाओं से अलग है। एलोरा में ऐसी चित्रकारी वाली बहुत कम गुफाएं हैं…हमने पहले भी एएसआई को पत्र लिखा है। अगर पानी अब भी नीचे आ रहा है, तो इसे जल्द से जल्द ठीक करना होगा।