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Manmohan Singh: साइलेंट प्रधानमंत्री के तमगे पर बोले थे मनमोहन सिंह- ‘मैं डरता नहीं हूं…’

Byadmin

Dec 27, 2024


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली एम्स में गुरुवार रात डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनके निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। डॉ. सिंह को उनके बेहद शांत स्वभाव के लिए जाना जाता था।
अपने सरल स्वभाव और ज्ञान के कारण डॉ. मनमोहन सिंह को राजनीतिक सीमाओं से परे भी सम्मान प्राप्त था। लेकिन राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें ‘साइलेंट पीएम’ का तमगा दे दिया था। इस पर उन्होंने दिसंबर 2018 में जाकर चुप्पी तोड़ी थी और विरोधियों को जवाब दिया था।

विरोधियों को दिया था जवाब

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2018 में ‘चेंजिंग इंडिया’ नाम से एक किताब लिखी थी। इसके विमोचन के दौरान उन्होंने कहा था, ‘लोग कहते हैं कि मैं साइलेंट प्राइम मिनिस्टर हूं। मुझे लगता है कि ये किताब खुद ही बोलेगी। मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मैं वह प्रधानमंत्री नहीं हूं, जो प्रेस से बात करने में डरता है।’

मैं प्रेस से निरंतर मिलता हूं। जो भी विदेश यात्रा मैंने की है, मैंने प्लेन में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है या लैंडिंग के तुरंत बाद किया है। इस किताब में मेरे उन सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में जिक्र किया गया है।

– डॉ. मनमोहन सिंह

दो बार बने प्रधानमंत्री

डॉ. मनमोहन सिंह 2004 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वह एक महान अर्थशास्त्री थे। कई राजनीतिक चुनौतियों और आर्थिक समस्याओं के समय भी उन्होंने देश के हित में फैसले लिए। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला।मनमोहन सिंह ने लिखी थी किताब
(फोटो: पीटीआई)उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री भारत में दो कार्यकाल पूरा किया। ऐसा करने वाले वह जवाहर लाल नेहरू के बाद दूसरे व्यक्ति थे। उनके कार्यकाल में मनरेगा और शिक्षा का अधिकार और न्यूक्लियर डील जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले हुए। 1991 में देश के वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था से लाइसेंस राज खत्म कर दिया।

पंजाब प्रांत में हुआ जन्म

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। यह गांव अब पाकिस्तान में पड़ता है। बंटवारे के बाद उनका परिवार अमृतसर आ गया और उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद कैम्ब्रिज गए और फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल किया। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने एलान कर दिया कि वह राजनीतिक सफर से संन्यास ले रहे हैं। इसके बाद राहुल गांधी को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था। लेकिन नतीजों में कांग्रेस की बुरी हार हुई थी।यह भी पढ़ें: ‘माना तेरी दीद के काबिल नहीं हूं…’ जब संसद में सुषमा से बोले थे मनमोहन; खूब बजी थी तालियां

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