डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयुष मंत्रालय के विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। इन अतिथियों को 21 जून 2025 को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) के सफल आयोजन में उनके योगदान के सम्मान स्वरूप आमंत्रित किया गया था।
एमडीएनआईवाई के निदेशक डॉ. काशीनाथ समगंडी ने अपने संबोधन में भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “योग का प्रसार आज पूरे विश्व में हो चुका है, जिसका श्रेय स्वास्थ्य एवं कल्याण विशेषज्ञों के समर्पित प्रयासों को जाता है। योग भारत की देन है, इसलिए इसे इसके सही स्वरूप और भाव में संरक्षित व प्रसारित करना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने आगे कहा, “योग पर चर्चा करते समय हमें आहार, विहार और आचरण-विचार जैसे समग्र पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।”
डॉ. समगंडी ने इस अवसर पर संस्थान की समस्त गतिविधियों का विस्तृत परिचय एक पीपीटी के माध्यम से दिया।
इस अवसर पर योग प्रमाणन बोर्ड (वाईसीबी) के प्रधान सलाहकार श्री एन. के. कंसारा ने वाईसीबी की प्रगति पर प्रकाश डाला। संवाद सत्र के दौरान अतिथियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में हुई प्रगति और उपलब्धियों को साझा किया तथा समकालीन जीवन में योग की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे।
इसके बाद किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल एमडीएनआईवाई आया, जिसे औषधीय पौधों के क्षेत्र में उनके योगदान के सम्मान हेतु आयुष मंत्रालय द्वारा आमंत्रित किया गया था।
इन विशिष्ट अतिथियों ने “वाई ब्रेक” नामक संक्षिप्त योग मॉड्यूल का अभ्यास किया और इसके लाभों का अनुभव किया। यह वाई ब्रेक अब तक 8.68 लाख सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचा चुका है।
दोनों प्रतिनिधिमंडलों में 350 से अधिक अतिथि शामिल थे, को संस्थान की सुविधाओं, शैक्षणिक कार्यक्रमों और चल रही पहलों से अवगत कराने के लिए संस्थान का भ्रमण भी कराया गया।
कार्यक्रम के दौरान एमडीएनआईवाई के सी एंड डीओ मो. तैयब आलम, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. आई. एन. आचार्य सहित संस्थान के अन्य सदस्य एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
यह आयोजन स्वतंत्रता की भावना और योग के शाश्वत मूल्यों—मन के विकारों पर विजय प्राप्त करना और अनुशासन, सामंजस्य के साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाता है।
एमडीएनआईवाई में विशेष अतिथियों का यह दौरा न केवल स्वतंत्रता दिवस समारोह को समृद्ध बना गया, बल्कि दैनिक जीवन में योग सिद्धांतों के समावेश को प्रोत्साहित करने का भी एक मंच बना, जिसने एकता, शांति और देश के कल्याण का संदेश दिया।