महाराष्ट्र: बंधुआ मजदूरी में फंसे 31 जनजातीय समुदाय के लोगों को बचाया गया, कलेक्टर ने दी जानकारी
महाराष्ट्र के बीड जिले में बंधुआ मजदूरी कर रहे 31 लोगों को बचाया गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि बचाए गए सभी लोग जलगांव जिले के रहने वाले हैं और जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इनसे बीड के मजलगांव तालुका में पिछले तीन महीनों से जबरन मजदूरी कराई जा रही थी और धमकाया जा रहा था। मजदूरों के परिजनों की शिकायत के बाद विभिन्न एजेंसियों ने संयुक्त अभियान चलाया और रविवार को सभी को सुरक्षित बाहर निकाला। बीड के कलेक्टर विवेक जॉनसन ने एक बयान में कहा कि वह जलगांव के कलेक्टर के साथ मिलकर इन मजदूरों के बच्चों की शिक्षा और भलाई के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे।
ठाणे: कोर्ट ने अपहरण और यौन उत्पीड़न के आरोपों से व्यक्ति को किया बरी
ठाणे जिले के कल्याण में एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने एक व्यक्ति को अपहरण और यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष न तो लड़की को कोर्ट में पेश कर पाया और न ही यह साबित कर सकता कि घटना के समय वह नाबालिग थी। मामला साल 2013 का था।
पॉक्सो अधिनियम के विशेष जज वीए पात्रावले ने तीन नवंबर को आरोपी रितेश घनश्याम रोहिदास (33 वर्षीय) को बरी कर दिया। लड़की के पिता ने 2013 में पुलिस में शिकायत की थी कि उसकी बेटी का अपहरण कर लिया गया है और 15,000 रुपये की फिरौती मांगी गई है। बाद में आरोपी को उत्तर प्रदेश में उसके गांव से पकड़ा गया और लड़की को बचाया गया। लेकिन कोर्ट ने मामले में अभियोजन पक्ष की कई खामियां बताईं। लड़की के पिता ने कहा था कि वह 15 साल की थी, लेकिन वह उसकी जन्मतिथि नहीं बता सके और न ही अभियोजन कोई दस्तावेज प्रस्तुत कर पाया जिससे यह साबित हो सके कि वह नाबालिग थी।
इसके अलावा, लड़की को अदालत में गवाही के लिए बुलाया ही नहीं गया, जो अभियोजन के लिए सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई। सबसे महत्वपूर्ण गवाह खुद पीड़िता होती। लेकिन उसे पेश नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा,अभियोजन के सबूतों को देखकर ऐसा कुछ नहीं है जो आरोपी को इस कथित अपराध से जोड़ सके। पीड़िता के पिता ने कोर्ट को बताया कि उसकी बेटी की शादी हो चुकी है और वह उसे गवाही के लिए नहीं लाना चाहता, क्योंकि ऐसा करने से ‘उसका वैवाहिक जीवन खराब हो सकता है।’ कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के पिता की गवाही अविश्वसनीय और विरोधाभासी है। साथ ही, यह साबित करने के लिए कोई फोरेंसिक सबूत भी नहीं था कि लड़की के साथ यौन उत्पीड़न हुआ था, इसलिए कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।
मुंबई में निजी स्टील कंपनी के कर्मचारी की सहकर्मी ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, आरोपी फरार
मुंबई में निजी स्टील कंपनी के कर्मचारी की सहकर्मी ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस ने बताया कि सोमवार तड़के दक्षिण मुंबई स्थित एक निजी स्टील कंपनी में गुजरात के रहने वाले 39 वर्षीय एक कर्मचारी की उसके सहकर्मी ने कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी।
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना गिरगांव स्थित सेंटेक कोटेड स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड में रात 1 बजे से 1.30 बजे के बीच हुई। पुलिस ने मृतक की पहचान गुजरात के बनासकांठा निवासी रमेश हाजाजी चौधरी के रूप में की है। अधिकारी के अनुसार, उसी परिसर में रहने और काम करने वाले आरोपी सूरज संजय मंडल (22) ने चौधरी पर लकड़ी के स्टूल और अग्निशामक यंत्र से हमला किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
हालांकि, उन्होंने बताया कि जानलेवा हमले के पीछे क्या कारण था, यह अभी पता नहीं चल पाया है। अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता के तहत आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और उसे पकड़ने के प्रयास जारी है।
जनवरी से अब तक 1,001 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया गया: मुंबई पुलिस
पुलिस ने इस साल जनवरी से अब तक मुंबई में रह रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ 401 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं और उनमें से 1,001 को निर्वासित किया है। वीजा उल्लंघनों की पुष्टि और सबूत इकट्ठा करने के बाद पुलिस ने विभिन्न इलाकों से संदिग्धों को हिरासत में लिया।
एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें पुणे ले जाया गया और फिर भारतीय वायुसेना के विशेष विमानों से बांग्लादेश सीमा पर ले जाकर सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया। जब्ती किए गए दस्तावेजों की जांच से पता चला कि कई बांग्लादेशी प्रवासियों ने आधार कार्ड सहित नकली भारतीय दस्तावेज तैयार किए थे।