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MP: ट्रक की जगह बाइक का नंबर, क्वालिटी टेस्ट में राशन फेल… पोषण आहार में हुआ है बड़ा झोल, कैग की रिपोर्ट में खुलासा – mp nutritional ration scheme scam bike number used instead of truck for false transporting cag report reveals

Byadmin

Dec 20, 2024


भोपाल: मध्य प्रदेश में बच्चों की सेहत का बुरा हाल है। CAG की रिपोर्ट ने ICDS योजना के तहत चल रहे THR प्रोग्राम में बड़े घोटाले का खुलासा किया है। यह योजना बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और स्कूल न जाने वाली किशोरियों के पोषण के लिए है। इसमें गड़बड़ियों की वजह से पैसा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। रिपोर्ट में समय पर सर्वे न होना, राशन बनाने और बांटने में गड़बड़ी, घटिया क्वालिटी का राशन जैसी कई समस्याएं सामने आई हैं।

और बिगड़ गई स्वास्थ्य की स्थिति

CAG ने मध्य प्रदेश के THR प्रोग्राम की जांच की। इस प्रोग्राम का मकसद कुपोषण से लड़ना और बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार देना है। लेकिन CAG ने पाया कि इस योजना में कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं। जिससे राज्य के स्वास्थ्य की स्थिति और खराब हुई है।

बेसलाइन सर्वे में देरी

रिपोर्ट में सबसे बड़ी गड़बड़ी लाभार्थियों की पहचान के लिए जरूरी बेसलाइन सर्वे में देरी को बताया गया है। केंद्र और राज्य सरकार के अप्रैल 2018 तक सर्वे पूरा करने के निर्देश के बावजूद, विभाग फरवरी 2021 तक भी इसे पूरा नहीं कर पाया। इस देरी से न केवल काम में रुकावट आई, बल्कि राशन बनाने, ढोने और बांटने में भी गड़बड़ियां हुईं। विभाग के अनुमान के मुताबिक स्कूल न जाने वाली किशोरियों की संख्या 55 लाख बताई गई, जो स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े 0.4 लाख से कहीं ज्यादा थी। इससे 110.8 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च हुआ।

ट्रक की जगह बाइक और कार से ढोए गए राशन

CAG रिपोर्ट में राशन बनाने और बांटने में भी गड़बड़ियों का जिक्र है। बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी के छह प्लांट्स ने 4.8 करोड़ रुपए का 773.2 मीट्रिक टन THR सप्लाई किया, जबकि चालान जारी होने की तारीख पर जरूरी स्टॉक उपलब्ध ही नहीं था। ऑडिट में फर्जी परिवहन दावों का भी खुलासा हुआ। छह फर्मों ने 55 करोड़ रुपये के 883.5 मीट्रिक टन THR के परिवहन की झूठी रिपोर्ट दी। जांच में पता चला कि रिकॉर्ड में दर्ज ट्रक मोटरसाइकिल, कार और टैंकर जैसी गलत श्रेणियों में पंजीकृत थे या वाहन डेटाबेस में मौजूद ही नहीं थे।

हर लेबल पर है गड़बड़ी

आंगनवाड़ी केंद्रों तक THR के परिवहन में भी गड़बड़ियां पाई गईं। आठ जिलों में 96,541.5 मीट्रिक टन THR प्राप्त होने की सूचना दी गई, लेकिन वास्तव में केवल 86,397.2 मीट्रिक टन ही पहुंचा। इस तरह 62.5 करोड़ रुपए का 10,144.3 मीट्रिक टन THR गायब हो गया। कुछ मामलों में, CDPO ने ऐसे स्टॉक के लिए भुगतान को मंजूरी दे दी जो प्राप्त ही नहीं हुआ था। अन्य जिलों में, स्टॉक रजिस्टर जैसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड या तो रखे ही नहीं गए या फिर उनमें हेरफेर किया गया, जिससे राशन की वास्तविक प्राप्ति और वितरण की पुष्टि करना असंभव हो गया।

गुणवत्ता टेस्ट में फेल हो गए राशन

CAG ऑडिट की सबसे चौंकाने वाली खोज यह है कि योजना के तहत बांटे गए राशन की खराब गुणवत्ता थी। 237 करोड़ रुपए की लागत वाले 38,000 मीट्रिक टन THR के नमूने गुणवत्ता परीक्षण के लिए भेजे गए। सभी नमूने आवश्यक पोषण मानकों पर खरे नहीं उतरे। यह दर्शाता है कि जरूरतमंद बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी नहीं हुईं।

अधिकारियों ने कभी निरीक्षण नहीं किया

इसके अलावा, ऑडिट में पाया गया कि सभी आठ जिलों में, अधिकारियों ने 2018 और 2021 के बीच आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण नहीं किया। यह निरीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि राशन लाभार्थियों तक पहुंचे। CAG ने इन कमियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में राज्य सरकार से ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सुधारात्मक उपाय करने का आग्रह किया गया है। ऑडिट में IT आधारित निगरानी प्रणाली विकसित करने की भी सिफारिश की गई है।

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