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MSME Classification Criteria From 1 April,कौन होगा माइक्रो, कौन होगा स्मॉल…? बदल गई MSME की परिभाषा, 1 अप्रैल से लागू होंगे कारोबार के नए नियम – msme classification criteria will come into effect from 1 april 2025 know new rules and definition

Byadmin

Mar 24, 2025


नई दिल्ली: अगर आप कोई छोटा कारोबार शुरू करने जा रहे हैं तो MSME (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) से जुड़े नए नियम जरूर जान लें। सरकार ने MSME की परिभाषा बदल दी है। अब निवेश और टर्नओवर के आधार पर तय किया जाएगा कि कौन सा बिजनेस माइक्रो की कैटेगरी में आएगा और कौन सा स्मॉल व मीडियम की कैटेगरी में। ये नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।सरकार ने 1 फरवरी को पेश किए बजट में एमएसएमई के नए नियम के बारे में घोषणा की थी। इन नए नियमों के लागू होने के बाद अब एमएसएमई को नए तरीके से पहचाना जाएगा। इससे छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। सरकार ने एमएसएमई के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ा दी है। पहले के मुकाबले अब ज्यादा निवेश और कारोबार करने वाले उद्योग भी एमएसएमई में शामिल हो सकेंगे।
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क्या हुआ बदलाव?

अब एमएसएमई को पहचानने के लिए उनके निवेश और कारोबार की सीमा को बढ़ाया गया है। निवेश की सीमा को 2.5 गुना और कारोबार की सीमा को 2 गुना कर दिया गया है। इससे ज्यादा एमएसएमई सरकार की योजनाओं का फायदा उठा पाएंगे।

  • अगर किसी कंपनी ने 2.5 करोड़ रुपये तक का निवेश किया है तो उसे माइक्रो एंटरप्राइजेज माना जाएगा। पहले यह सीमा 1 करोड़ रुपये थी।
  • इसी तरह 25 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली कंपनियों को स्मॉल एंटरप्राइजेज कहा जाएगा। पहले यह सीमा 10 करोड़ रुपये थी।
  • अगर किसी एमएसएमई ने 125 करोड़ रुपये तक का निवेश किया है तो उसे मीडियम एंटरप्राइजेज माना जाएगा। पहले यह सीमा 50 करोड़ रुपये थी।

टर्नओवर के मामले में नए नियम

  • अगर किसी माइक्रो एंटरप्राइजेज का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये तक है तो उसे माइक्रो एंटरप्राइजेज माना जाएगा। पहले यह सीमा 5 करोड़ रुपये थी।
  • स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिए टर्नओवर की सीमा 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दी गई है।
  • मीडियम एंटरप्राइजेज के लिए भी सीमा बढ़ाई गई है। इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पहले यह सीमा 250 करोड़ रुपये थी।

क्यों लिया यह फैसला?

एक फरवरी को बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘आजकल 1 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई रजिस्टर्ड हैं। ये 7.5 करोड़ लोगों को नौकरी देते हैं और हमारे देश के मैन्युफैक्चरिंग का 36% हिस्सा हैं। ये एमएसएमई अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट बनाते हैं और हमारे एक्सपोर्ट का 45% हिस्सा इन्हीं का है। इनको और बेहतर बनाने के लिए, टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ाने के लिए और आसानी से पैसे मिल सके, इसलिए हमने इनके निवेश और टर्नओवर की सीमा को बढ़ाया है। इससे उन्हें आगे बढ़ने और युवाओं को नौकरी देने का हौसला मिलेगा।’

क्या मिलेगा फायदा?

इन बदलावों से एमएसएमई यानी छोटे उद्योगों को बड़ा फायदा होगा। वे अब बिना किसी डर के अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे। सरकार का यह कदम एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। छोटे कारोबारियों को अब ज्यादा मौके मिलेंगे और वे देश के विकास में और भी ज्यादा योगदान दे पाएंगे।

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