डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई से गुरुवार को एक हैरान करने वाली खबर सामने आई। यहां पवई इलाके में दोपहर करीब 1.45 बजे रोहित आर्या नाम के व्यक्ति ने 17 बच्चों को बंधक बना लिया। करीब तीन घंटे तक आर्य ने बच्चों को बंधक बनाए रखा। पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बच्चों को बाहर निकाला। इस ऑपरेशन के दौरान रोहित को गोली लग गई। अस्पताल ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया।
इस घटना से पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। पुलिस के हवाले से ऐसी भी खबरें आईं कि आरोपी, बच्चों को बंधक बनाने के जरिये अपनी बात कहना चाहता था। कौन था रोहित आर्य, उसने बच्चों को बंधक क्यों बनाया आइये सिलसिलेवार तरीके से जानने की कोशिश करते हैं?
कौन था रोहित आर्य?
पवई के आरए स्टूडियो में गुरुवार को एक वेब सीरीज के ऑडिशन के लिए बच्चों को बुलाया गया था। इसमें 8 से 14 साल के बच्चे शामिल थे। इन 17 बच्चों को रोहित आर्य नाम के शख्स ने करीब दो घंटे तक बंधक बनाए रखा। पुलिस को इस घटना की सूचना दोपहर करीब 1. 45 बजे मिली। घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने पहले बातचीत से मामला सुलझाने की कोशिश की। जब आर्या ने बच्चों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी तो जबरन टीम को अंदर घुसकर बच्चों को निकालना पड़ा। पुलिस की इस कार्रवाई में आर्या को गोली लग गई। जिसके बाद खबर आई की अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
वीडियो में क्या बताना चाहता था आर्या?
घटना से पहले रोहित ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने कहा था कि आत्महत्या करने के बजाय उसने बंधक बनाने का रास्ता चुना है। वीडियो में आर्या ने कहा, “मैं रोहित आर्या हूं। आत्महत्या करने के बजाय, मैंने एक प्लान बनाया है और कुछ बच्चों को यहां बंधक बनाकर रखा है।” उसने मांगो का जिक्र किए बिना कहा, ”मेरी कुछ साधारण मांगे और सवाल हैं। ” उसने चेतावनी दी, “आपकी जरा सी भी गलती मुझे भड़का देगी।” उसने आगे कहा, ”मैंने पैसे नहीं मांगे और मैं आतंकवादी नहीं हूं।”
शिक्षा मत्री दीपक केसरकर पर लगाए गंभीर आरोप
आर्या ने पहले आरोप लगाया था कि शिक्षा विभाग के “मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल” अभियान के तहत शुरू किए गए “पीएलसी सैनिटेशन मॉनिटर प्रोजेक्ट” नामक स्वच्छता अभियान के लिए उसके बकाया पैसों का भुगतान नहीं किया गया। आर्य ने आगे आरोप लगाया कि विभाग ने उसके काम के लिए 2 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन जनवरी 2024 से उसे भुगतान नहीं किया गया। इसे लेकर आर्या ने पिछले साल दो बार भूख हड़ताल भी की थी। आर्य ने दावा किया है कि उस दौरान शिक्षा मंत्री रहे दीपक केसरकर ने उसे व्यक्तिगत रूप से 7-8 लाख रुपये का चेक जारी किया था और बाद में बकाया पैसा देने का का वादा किया था। जो दावा आज तक पूरा नहीं हुआ।