पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी संगठनों के बीच सांठगांठ की बड़ी पोल खुली है। जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर इलियास कश्मीरी ने एक वीडियो में दावा किया है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने खुद आदेश दिया था कि ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल हों। इस खुलासे ने न केवल पाकिस्तान की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भारत पर लगातार हो रहे हमलों के पीछे की सच्चाई भी उजागर की है।
वीडियो में कश्मीरी ने कहा कि पाकिस्तान सेना के जीएचक्यू (जनरल हेडक्वार्टर) से आदेश मिला था कि मारे गए आतंकियों को ‘शहीद’ का दर्जा देकर सलामी दी जाए। यही नहीं, कोर कमांडरों को बाकायदा वर्दी में उनके जनाजे में शामिल होने और सुरक्षा देने के निर्देश भी दिए गए। यह सीधे तौर पर पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी संगठनों की मिलीभगत को दर्शाता है।
मसूद अजहर और 26/11 हमले का जिक्र
कश्मीरी ने आगे यह भी स्वीकार किया कि उसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर भारत में कई हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। उसने खुलासा किया कि आईसी-814 विमान अपहरण के बाद जब अजहर तिहाड़ जेल से रिहा होकर पाकिस्तान पहुंचा, तो बालाकोट उसकी गतिविधियों का मुख्य ठिकाना बना। वहीं से उसने दिल्ली और मुंबई में आतंकी हमलों की साजिशों को आगे बढ़ाया।
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लश्कर कमांडर का भारत को धमकी भरा संदेश
इसी बीच लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी का एक और वीडियो सामने आया है। इसमें वह न केवल 22 अप्रैल को पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया, बल्कि भारत को खुली धमकी भी दी। कसूरी ने कहा कि भारत के बांध, नदियां और जम्मू-कश्मीर की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जाएगी।
पाक सरकार और सेना पर फंडिंग का आरोप
कसूरी ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान सरकार और सेना खुद लश्कर को फंडिंग कर रहे हैं ताकि उसका मुख्यालय मुरिदके में दोबारा बनाया जा सके। यह वही ठिकाना है जिसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त कर दिया था। उसने दावा किया कि मुश्किल हालात के बावजूद लश्कर की ताकत कम नहीं हुई और पाकिस्तान की जनता से भी खुला समर्थन मांगा।
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पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय फजीहत
इससे पहले पाकिस्तान ने हमेशा यह दावा किया था कि उसकी सेना किसी भी आतंकी संगठन के साथ नहीं है और बहावलपुर में जैश के कैंप मौजूद नहीं हैं। लेकिन इन वीडियोज ने पाकिस्तानी सरकार की पोल खोल दी है। मई में जब सेना अधिकारियों की तस्वीरें आतंकियों के जनाजे में सामने आई थीं, तब भी इस्लामाबाद ने इसे झूठ करार दिया था। अब सीधे आतंकियों के कमांडरों के कबूलनामे से साबित हो गया है कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंकियों को पनाह देता है बल्कि उन्हें खुला समर्थन भी देता है।
इन नए खुलासों ने पाकिस्तान के आतंकवाद पर दोहरे रवैये को उजागर कर दिया है। एक ओर वह वैश्विक मंचों पर खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, वहीं दूसरी ओर उसकी सेना और सरकार आतंकवादी संगठनों को खुलेआम समर्थन और फंडिंग दे रहे हैं। भारत ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की है कि पाकिस्तान को आतंक के ऐसे गठजोड़ पर जवाबदेह ठहराया जाए।