मायोपिया को रोक पाना मुश्किल
उन्होंने बताया कि माता-पिता में से किसी एक या दोनों को मायोपिया है। ऐसी सूरत में जेनेटिक (अनुवांशिक) करणों से बच्चों में भी मायोपिया की बीमारी हो सकती है। ऐसे बच्चों में इस बीमारी की संभावना अन्यों की तुलना में कही ज्यादा होती है। मायोपिया को पूरी तरह से रोकना मुश्किल हो सकता है। खासकर अगर जब परिवार में इसकी मेडिकल हिस्ट्री है। हालांकि, कुछ उपाय अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
मायोपिया से बचने के उपाय
बहुत करीब से बच्चों को टेलीविजन देखने के लिए हतोत्साहित करना चाहिए। बच्चों के लिए स्क्रीन समय को सीमित करना चाहिए। कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर दिन एक सीमित घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कुछ-कुछ अंतराल पर आंखों को आराम देना जरूरी है। इसके लिए हर 20 मिनट के स्क्रीन समय के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की किसी चीज को देखें। पढ़ते समय बच्चों के कमरे की रोशनी सही होनी चाहिए।
बच्चों को लेकर घर के बड़ो को इसका खास ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अंधेरे में फोन का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए है। कम रोशनी में पढ़ने या फोन चलाने से आंखों पर ज्यादा स्ट्रेन (तनाव) पड़ता है, जिससे मायोपिया हो सकता है। मायोपिया से बचने के उपाय के तहत बाहरी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। बच्चों को हर दिन कम से कम 2-3 घंटे बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।