नूंह में ध्रुवीकरण का संकेत दे गई कांग्रेस की जीत
हरियाणा की 90 विधानसभाओं में मुस्लिम बहुल मेवात जिला की तीन विधानसभा भी शामिल। इन सीटों पर हमेशा मुस्लिम उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। यहां मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा पार्टी से हमेशा दूरी बनाई है। नूंह में पिछले साल ब्रज मंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा थी। जिसमें भारी संख्या में जान माल का नुकसान हुआ था। मेवात के लोगों पर NSA जैसी गंभीर धाराओं में केस भी दर्ज हुआ था।
लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को नहीं मिले वोट
हिंसा के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों और यहां के कांगेसी नेताओं ने मुस्लिम समुदाय को चुन-चुनकर निशाना बनाए जाने और बुलडोजर से मकानों को ध्वस्त का आरोप लगाया था। हिंसा के कारण क्षेत्र में हिंदू और मुस्लिम आबादी के बीच ध्रुवीकरण भी बढ़ गया। लोकसभा चुनावों के नतीजों में भी नूंह से कांग्रेस एकतरफा थी। विधानसभा चुनावो में भी मुस्मिल मतदाताओं का कांग्रेस के पक्ष में अधिक मतदान करना ध्रुवीकरण का संकेत देता है।
क्यों आईएनएलडी-बसपा को नहीं दिए वोट
वहीं आईएनएलडी–बसपा प्रत्याशी ताहिर हुसैन की हार का सबसे बड़ा कारण उनके पिता के भाजपा में होना बताया जा रहा है। जब भाजपा नेता चौधरी जाकिर हुसैन का टिकट कट गया तो उनके बेटे ताहिर हुसैन आईएनएलडी में शामिल हो गए। लेकिन पिता ने भाजपा नही छोड़ी। शायद जनता को यह आभास हो चुका था कि जाकिर हुसैन दोनों हाथों में लड्डू लेकर राजनीति कर रहे है। इनेलो प्रत्याशी ताहिर हुसैन को क्षेत्र के हिंदू और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वोट दिया। इनेलो प्रत्याशी में भी मुस्लिम मतदाताओ कोई रुचि नहीं दिखाई।
विधानसभा में दिए गए भाषण से लोकप्रिय हुए मामन खान
फिरोजपुर झिरका सीट पर बड़े मार्जन से जीते कांग्रेस प्रत्याशी मामन खान विधानसभा में दिए गए एक बयान से मुस्लिम समाज के लिए एक लोकप्रिय नेता बन गए। विधानसभा में गौरक्षक मोनू के मेवात आने पर प्याज सी फोड़ने का बयान मामन द्वारा दिया गया था। इस दौरान नूंह में शोभायात्रा के दौरान यात्रा पर हिंसा हुई, जिसमें मामन खान को हिंसा का आरोपी बनाते हुए जेल भेजा गया। उससे मामन खान की तरफ और भी अधिक लोगों का रूझान बढ़ा। यही वजह है कि मुस्लिम मतदाताओं ने एकतरफा वोटिंग मामन खान के पक्ष में की है।
पुन्हाना में निर्दलीय प्रत्याशी पर भाजपा का समर्थक होने का लगा आरोपपुन्हाना सीट पर कांग्रेस के मोहम्मद इलियास और निर्दलीय प्रत्याशी रहीसा खान मजबूती से चुनावी मैदान में थे। रहीसा खान 2014 में पहले विधायक रह चुके है। रहीसा खान पर इस बार कांग्रेसियों ने भाजपा का समर्थक होने का आरोप लगाया। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद इलियास के चचेरे भाई एजाज को भाजपा ने टिकट दिया। उसमें भी यही चर्चाएं थी कि रहीसा खान ने जानबूझकर मोहम्मद एजाज को टिकट दिलवाया है। मुस्लिम मतदाताओं का रहीसा से दूरी बनाना सबसे बड़ी वजह यही बताई जा रही है।