इमेज स्रोत, Biswaranjan Mishra
भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही एक नेपाली छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद कैंपस में दहशत का माहौल बना हुआ है.
पुलिस के अनुसार, 16 फरवरी की शाम नेपाली छात्रा ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
घटना के बाद विश्वविद्यालय में पढ़ रहे नेपाली छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था.
इन स्टूडेंट्स का आरोप था कि पीड़िता ने एक छात्र के ख़िलाफ़ कई बार शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज़ कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है.
अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवन आस्था हेल्पलाइन 1800 233 3330 से मदद ले सकते हैं.
आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
मृतक छात्रा मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में थी. उनके साथ पढ़ने वालों के मुताबिक़, छात्रा ने अपनी शिकायत विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय (आईआरओ) में दर्ज कराई थी.
रजिस्ट्रार डॉ. ज्ञान रंजन महांति ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद दोनों पक्षों की काउंसलिंग हुई थी और अभियुक्त को चेतावनी दी गई थी, लेकिन उससे कोई लिखित अंडरटेकिंग नहीं ली गई.
घटना के बाद छात्रा के परिवार के एफ़आईआर के आधार पर पुलिस ने अभियुक्त को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत गिरफ़्तार किया है.
अभियुक्त छात्र उत्तर प्रदेश का है. बुधवार को पुलिस ने अभियुक्त को स्थानीय अदालत में पेश किया जिसके बाद उसे तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.
मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव सत्यव्रत साहू की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई है.
कमिटी ने कहा है कि फ़ोन पर रिकॉर्ड की गई मृतक छात्रा और अभियुक्त के बीच कथित बातचीत उसका वॉइस स्पेक्ट्रोग्राफ़ी टेस्ट कराया जाएगा. इसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इमेज स्रोत, Biswaranjan Mishra
घटना के बाद भुवनेश्वर पहुंचे छात्रा के पिता का आरोप है कि अगर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनकी बेटी की शिकायत पर कार्रवाई की होती, तो ये हादसा नहीं होता.
हालांकि, उन्होंने ये माना कि उनकी बेटी ने कभी भी अपनी तरफ़ से कथित उत्पीड़न को लेकर उनसे कुछ नहीं कहा था.
वो कहते हैं कि उन्हें इन सब बातों की जानकारी बेटी की मौत के बाद भुवनेश्वर पहुंचने, उनके साथियों से बात करने और मीडिया रिपोर्ट देखने के बाद ही मिली.
उन्होंने कहा, “घटना के दिन दोपहर क़रीब तीन बजे मेरी बेटी से मेरी बात हुई थी. उसने बताया था कि वह कैंपस में चल रहे एक उत्सव में हिस्सा लेने जा रही है और कुछ समय तक फ़ोन नहीं उठा पाएगी.”
“लेकिन शाम क़रीब साढ़े पांच बजे विश्वविद्यालय की ओर से हमें उसकी मौत की जानकारी दी गई और तुरंत भुवनेश्वर पहुंचने के लिए कहा गया.”
घटना के बाद नाराज़ नेपाली छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने रविवार को 1000 से अधिक नेपाली छात्रों को तत्काल कैंपस छोड़ने का आदेश दिया.
बाद में सोमवार को राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया.
हालांकि, छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें जबरन बसों में भरकर भुवनेश्वर और कटक रेलवे स्टेशन भेज दिया गया.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
अधिकारियों का दावा है कि अधिकांश नेपाली छात्र वापस लौट आए हैं. लेकिन बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में कई घंटे बिताने के बाद भी कोई नेपाली छात्र दिखाई नहीं दिया.
सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों में नेपाल के एक हज़ार से अधिक छात्र पढ़ते हैं.
लेकिन बीते बुधवार को यूनिवर्सिटी गेट के सामने प्रदर्शन कर रहे छात्रों में कोई भी नेपाली छात्र शामिल नहीं था.
बीबीसी से बातचीत में मास्क पहने एक प्रदर्शनकारी ने ये कहते हुए अपना नाम बताने से इनक़ार कर दिया कि इससे उन्हें ख़तरा हो सकता है.
उनका दावा था कि विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों ने नेपाली छात्रों के हॉस्टलों को घेर रखा है और उन्हें किसी से बात नहीं करने दिया जा रहा है.
यूनिवर्सिटी कैंपस जाने से पहले फ़ोन पर मेरी बातचीत एक नेपाली छात्र से बात हुई थी, जो अपने चार साथियों के साथ भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में ठहरे हुए थे.
मैंने उनसे पूछा कि कैंपस छोड़ने का आदेश वापस लिया जा चुका है, तो वे अब भी होटल में क्यों ठहरे हैं?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, “डर लगा हुआ है. पता नहीं कब क्या हो जाए?”
जब मैंने उनसे मिलने की इच्छा जताई, तो उन्होंने कहा, “हम अभी कैंपस जा रहे हैं, आप वहीं आ जाइए.”
लेकिन कैंपस पहुंचने के बाद जब मैंने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई जवाब नहीं मिला.
इमेज स्रोत, Biswaranjan Mishra
कुछ छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें धमकी दी जा रही है कि अगर वे प्रदर्शन जारी रखते हैं या कैंपस के बाहर किसी से बात करते हैं, तो उन्हें “कैंपस प्लेसमेंट” का मौक़ा नहीं मिलेगा.
इन आरोपों पर बीबीसी से बातचीत में ‘कीट’ के रजिस्ट्रार डॉ. जे आर महांति ने कहा, “इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. आप जानते हैं कि कैंपस प्लेसमेंट में कीट का रिकॉर्ड बेहतरीन है. किसी को कोई धमकी नहीं दी जा रही.”
छात्रा की मौत की घटना के बाद ‘कीट’ के छात्रों ने सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो साझा किए हैं, जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी ने प्रदर्शनकारियों के साथ कितनी सख़्ती से पेश आया.
एक वीडियो में छात्र सुरक्षाकर्मियों के हाथों पिटते हुए दिख रहे हैं. एक अन्य वीडियो में एक महिला अधिकारी यह कहती हुई सुनाई देती है, “कीट का बजट नेपाल की जीडीपी से अधिक है.”
वीडियो में एक और महिला अधिकारी कहती हैं, “हम 40,000 बच्चों को मुफ़्त खाना खिलाते हैं. कीट का बजट नेपाल के बजट से बड़ा है. सामान बांधो और निकलो.”
कुछ छात्रों का मानना है कि नेपाली छात्रों का गुस्सा इन्हीं टिप्पणियों के कारण भड़का है, जिससे यह विवाद बढ़कर अब कूटनीतिक मुद्दा बन गया है.
आश्चर्य की बात यह है कि घटना के बाद जहां कीट विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो सुरक्षाकर्मियों सहित अपने पांच कर्मचारियों को निलंबित किया है, वहीं इन दो महिला अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई. केवल एक माफ़ीनामा जारी कराकर मामले को शांत करने की कोशिश की गई.
इस मामले में छात्र-छात्राएं खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं और सहमे हुए हैं.
इमेज स्रोत, Biswaranjan Mishra
‘कीट’ के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत पर पहले भी कुछ आरोप लगे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
डॉ. सामंत देश के बड़े शिक्षा उद्यमियों में से एक होने के अलावा राजनीति में भी मज़बूत पकड़ रखते हैं.
वो बीजू जनता दल (बीजेडी) की ओर से लगातार दो बार, 2014 और 2029 में कंधमाल से सांसद रह चुके हैं, लेकिन सभी पार्टियों के नेताओं से उनकी नज़दीकियां मानी जाती हैं.
भारत और कई अन्य देशों की 50 से अधिक यूनिवर्सिटियों ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी है.
शुक्रवार को राज्य विधानसभा में ‘कीट’ मामले को लेकर तीखी बहस हुई, जिसमें विपक्ष ने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की.
सरकार ने यह मांग स्वीकार नहीं की, जिसके विरोध में बीजेडी और कांग्रेस के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
शुक्रवार शाम ‘कीट’ के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत सरकार की गठित तीन सदस्यीय जांच कमिटी के सामने पेश हुए.
क़रीब दो घंटे तक उनसे पूछताछ की गई, लेकिन उनसे क्या सवाल पूछे गए, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है.
इससे पहले ‘कीट’ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी शुक्रवार को कमिटी के सामने पेश हुए.
दूसरी तरफ तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास मंत्री संपद स्वाईं ने कहा है कि केवल इस घटना की ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ उठे ज़मीन हड़प के मामलों की भी जांच की जाएगी और एक्शन लिया जाएगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित