क्योंझर जेल में थे बंद
हेम्ब्रम को 9 दिसंबर 1999 को गिरफ्तार किया गया था। दारा सिंह, जो फरार था, उसे 31 जनवरी 2000 को पुलिस ने पकड़ा था। दारा और हेम्ब्रम, जिनकी उम्र 62 साल है, पिछले 25 सालों से क्योंझर जेल में अलग-अलग कोठरियों में बंद थे।
1999 में हुई थी घटना
ओडिशा पुलिस ने बताया कि हेम्ब्रम, जिन्हें क्योंझर जेल से रिहा किया गया है, पर आरोप है कि उन्होंने दारा सिंह के साथ मिलकर ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों – 6 साल के टिमोथी और 10 साल के फिलिप को जला दिया था। यह घटना 22 जनवरी 1999 को क्योंझर जिले के मनोहरपुर में हुई थी। उस समय स्टेन्स और उनके बच्चे चर्च के बाहर एक जीप में सो रहे थे।
धर्म परिवर्तन को लेकर हुई थी घटना
एक रिटायर्ड पुलिस अफसर ने बताया कि स्टेन्स पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप था। हेम्ब्रम ने कथित तौर पर स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों पर हमला किया था। दारा और हेम्ब्रम भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे और स्टेन्स के खिलाफ नारे लगा रहे थे। स्टेन्स दया की भीख मांग रहे थे। हेम्ब्रम और दारा ने विदेशी नागरिक स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों को उनकी वैन में जबरदस्ती डाला और केरोसिन डालकर आग लगा दी। उस रात वह पुलिस अफसर क्योंझर में ही तैनात थे।
सुप्रीम कोर्ट ने दारा सिंह की अर्जी पर फैसले का दिया है आदेश
रिहाई के बाद हेम्ब्रम ने कहा कि मैं निर्दोष था। फिर भी मैं पिछले 25 सालों से जेल में था। अब सबकी निगाहें दारा सिंह उर्फ रवींद्र पाल की रिहाई की अर्जी पर टिकी हैं। 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को दारा की रिहाई की अर्जी पर छह हफ़्तों के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया था। इस मामले की सुनवाई मई के पहले हफ्ते में होगी।
दारा सिंह ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और जल्द ही यह फैसला लेगी कि सजा माफ की जाए या नहीं। हमें लगता है कि मामले को छह हफ़्तों के लिए स्थगित करना उचित होगा। दारा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर जल्द रिहाई के लिए उदार नीति अपनाने की मांग की है। वह पिछले 25 सालों से क्योंझर जेल में बंद है। 22 सितंबर 2003 को भुवनेश्वर की एक CBI अदालत ने दारा सिंह को मौत की सजा सुनाई थी और हेम्ब्रम समेत 12 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी थी।
वीएचपी ने जताई खुशी
बाद में हाई कोर्ट ने 11 लोगों को बरी कर दिया, लेकिन दारा और हेम्ब्रम की सजा बरकरार रखी। 19 मई 2005 को ओडिशा हाई कोर्ट ने दारा सिंह की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया, जबकि हेम्ब्रम की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त सचिव वकील केदारदास ने इस रिहाई का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक अच्छा दिन है। हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं।
ओडिशा सरकार जेलों की भीड़ कर रही कम
ओडिशा कारागार निदेशालय ने बुधवार को 30 अन्य हत्या के दोषियों को भी अलग-अलग जेलों से रिहा कर दिया। यह रिहाई सरकार की समय से पहले रिहाई की नीति के तहत की गई है। इन दोषियों ने अलग-अलग हत्या के मामलों में 14 से 25 साल की सजा काटी थी।
इसलिए दी गई रिहाई
अधिकारियों ने बताया कि उनकी रिहाई का फैसला जेल में उनके सुधरे हुए व्यवहार और आचरण को देखते हुए लिया गया। क्योंझर जेल के सुपरिटेंडेंट मानसविनी नायक ने कहा कि सरकार ने कई ऐसे आजीवन कारावास के दोषियों को रिहा करने का फैसला किया है, जिन्होंने जेल में 14 साल से ज्यादा की सजा काट ली है।
2022 के सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, गंभीर अपराधों को छोड़कर, आजीवन कारावास के दोषियों को रिहाई पर विचार करने से पहले कम से कम 14 साल की सजा काटनी होगी। गंभीर हत्या के मामलों में 20 से 25 साल की सजा जरूरी है। 60 साल से ज्यादा उम्र की महिला दोषियों और 65 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष दोषियों के लिए उम्र के आधार पर भी विचार किया जाता है।