TRT वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने “दक्षिण एशिया में बिगड़ते सुरक्षा माहौल पर गहरी चिंता” जताई है जिसमें भारत के “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ निराधार आरोपों” को क्षेत्र में तनाव को बढ़ाने वाला एक प्रमुख फैक्टर बताया गया है। आपको बता दें कि OIC में 57 देश हैं, जिनमें 48 मुस्लिम बहुल देश हैं। 57 सदस्य देशों वाले संगठन OIC ने कहा कि “इस तरह के आरोपों से पहले से ही अस्थिर स्थिति और खराब होने का खतरा है, और “आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ अपनी सैद्धांतिक स्थिति और निंदा को दोहराया, चाहे वह किसी भी व्यक्ति द्वारा और कहीं भी किया गया हो।”
कश्मीर पर OIC ने फिर लांघी सीमा रेखा
TRT वर्ल्ड की रिपोर्ट मं कहा गया है कि इसके अलावा OIC ने कश्मीर को लेकर फिर से अपनी हदें लांघने की गुस्ताखी की और कहा कि “अनसुलझा विवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा को प्रभावित करने वाला मुख्य मुद्दा बना हुआ है। जम्मू और कश्मीर के लोगों को उनके आत्मनिर्णय के अविभाज्य अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जैसा कि प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों में निहित है।” इसके अलावा ओआईसी ने अपने बयान में कहा है कि “OIC, संयुक्त राष्ट्र महासचिव (एंटोनियो गुटेरेस) द्वारा की गई सहायता की पेशकश की सराहना करता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और प्रभावशाली राज्यों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करता है कि वे स्थिति को कम करने के लिए तत्काल और विश्वसनीय उपाय करें।”
आपको बता दें कि पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चरम पर तनाव है। भारत ने एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है और आशंका है कि भारत, पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। भारत का मानना है कि आतंकवादी हमले के बीच पाकिस्तान है। जबकि पाकिस्तान ने हमेशा की तरफ आरोपों का खंडन किया है। इसके अलावा दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ कूटनीतिक कदम उठाए हैं, जिसमें एक-दूसरे के नागरिकों के वीजा रद्द करना और राजनयिक कर्मचारियों को वापस बुलाना शामिल है।
OIC का डबल स्टैंडर्ड
हालांकि OIC के पाकिस्तान को समर्थन करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन इससे OIC के डबल स्टैंडर्ड का एक बार फिर से खुलासा होता है। OIC ने अपने बयान में कहा है कि “भारत द्वारा पाकिस्तान पर लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोप दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ा रहे हैं। हम कश्मीरियों को उनका आत्मनिर्णय का अधिकार दिलाने की मांग दोहराते हैं, जैसा कि UN प्रस्तावों में गारंटी दी गई है।” लेकिन ये वही ओआईसी है जो चीन में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को लेकर चुप्पी साधे रखता है। ये वही ओआईसी है, जो अफगानिस्तान में तालिबान के क्रूर इस्लामिक शासन और महिलाओं को घर में बंधक बनानए जाने की नीति को लेकर चुप्पी साधे रखता है। ये वही ओआईसी है जो पाकिस्तान में शिया, अहमदिया और हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर कभी कुछ नहीं कहता। लेकिन जब भारत की बात आती है तो यही ओआईसी अचानक से मानवाधिकार का चैंपियन बन जाता है।
भारत ने अब ओआईसी को मुंह लगाना बंद कर दिया है। भारत पहले भी ओआईसी से दो टूक शब्दों में कह चुका है कि “कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है” और ऐसे संगठनों को पाकिस्तान के प्रोपेगेंड टूलर का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि OIC एक पक्षपाती मंच है जो आतंकवाद को शह देने वाले देश के साथ खड़ा रहता है। भारत ऐसे बयानों को पूरी तरह खारिज करता रहा है। कई ओआईसी के सदस्य देश इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। जबकि पाकिस्तान ने ओआईसी को अपने प्रोपेगेंडा फैलाने का मंच बना दिया है। लिहाजा ओआईसी का ये समर्थन कोई मायने नहीं रखता है।