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Operation Sindoor News,₹35,000 करोड़ की डील और कूटनीति का कमाल, सुदर्शन चक्र कैसे बना भारत की ढाल और पाकिस्तान का काल? – how india defied us pressure to get s 400 sudarshan chakra that beat pakistan assault

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May 9, 2025


नई दिल्ली: भारतीय एयरफोर्स का सुदर्शन एस-400 (Sudarshan S-400) मिसाइल सिस्टम इन दिनों सुर्खियों में है। इसने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम करके धूम मचा दी है। पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया। पाकिस्तानी सेना उत्तर और पश्चिम भारत के 15 शहरों में भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना चाहती थी। लेकिन भारत ने अपने सुदर्शन एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से पाकिस्तान के हमलों को विफल कर दिया। सुदर्शन इस लड़ाई में गेम चेंजर साबित हुआ है और उसने इस लड़ाई में अपनी क्षमता साबित कर दी है। भारत ने रूस से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम खरीदा है।

भारत ने इसका नाम भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र के नाम पर सुदर्शन रखा है। पिछले साल जुलाई में एक अभ्यास के दौरान सुदर्शन ने दुश्मन के 80% लड़ाकू विमानों को मार गिराया था। भारत और रूस के बीच एस-400 की पांच स्क्वाड्रन के लिए साल 2018 में 35,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का सौदा हुआ था। भारतीय वायुसेना सुदर्शन को गेम चेंजर मानती है। सुदर्शन की पहली स्क्वाड्रन को 2021 में पंजाब में तैनात किया गया था। इससे पाकिस्तान की सीमा और उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों के अन्य हिस्सों पर नजर रखी जा सकती है।

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सुदर्शन एस-400 गेम चेंजर क्यों है?

सुदर्शन एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम एक ही समय में 36 लक्ष्यों को भेद सकता है। यह एक साथ 72 मिसाइलें लॉन्च कर सकता है। इसमें चार अलग-अलग मिसाइलें हैं। ये दुश्मन के विमान, बैलिस्टिक मिसाइल और AWACS विमानों को 400 किमी, 250 किमी, मध्यम दूरी की 120 किमी और कम दूरी की 40 किमी पर मार सकती हैं।

सुदर्शन में एक कॉम्बैट कंट्रोल पोस्ट हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए एक थ्री-कोऑर्डिनेट जैम-रेसिस्टेंट फेज़्ड एरे रडार, छह-आठ एयर डिफेंस मिसाइल कॉम्प्लेक्स (12 ट्रांसपोर्टर-लॉन्चर के साथ), एक मल्टी-फंक्शनल फोर-कोऑर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार, एक टेक्निकल सपोर्ट सिस्टम, मिसाइल ट्रांसपोर्टिंग व्हीकल और एक ट्रेनिंग सिमुलेटर शामिल है। सिस्टम में एक ऑल-एल्टीट्यूड रडार और एंटीना पोस्ट के लिए मूवेबल टावर भी शामिल हो सकते हैं। इस सिस्टम की टारगेट डिटेक्शन रेंज 600 किलोमीटर तक है। इसकी टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल डिस्ट्रक्शन रेंज पांच किलोमीटर से 60 किलोमीटर तक है।

सुदर्शन मिसाइलें सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक गति से उड़ सकती हैं। ये अलग-अलग रेंज पर सभी तरह के लक्ष्यों को भेद सकती हैं। रूसी विशेषज्ञों का दावा है कि यह अमेरिकी एफ-35 जैसे स्टील्थ फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमानों को भी रडार लॉक और शूट डाउन कर सकती है।

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अमेरिका का दबाव

रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया था। इस दौरान भारत पर अमेरिका की ओर से काफी राजनयिक दबाव था। अमेरिका चाहता था कि भारत इस डील को रद्द कर दे। अमेरिका की चेतावनियों और अमेरिकी कानून के तहत संभावित प्रतिबंधों के बावजूद भारत अपने रुख पर कायम रहा। भारत का कहना था कि यह उसके संप्रभु हितों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। अमेरिकी सरकार इस सौदे को रोकने की कोशिश कर रही थी। इसका मुख्य कारण अमेरिका का CAATSA कानून था। यह कानून रूस जैसे देशों के साथ बड़े रक्षा सौदों पर प्रतिबंध लगाता है।

अमेरिका के तत्कालीन डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन सहित अमेरिका के कई बड़े अधिकारियों ने भारत का दौरा किया। उन्होंने निजी तौर पर अपनी चिंता व्यक्त की और इस अधिग्रहण पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उनका मुख्य तर्क यह था कि इस तरह के कदम से अनिवार्य प्रतिबंध लग सकते हैं। इससे अमेरिकी और भारतीय सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग में दिक्कतें आ सकती हैं। इसके अलावा, अमेरिकी कांग्रेस के कई सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से इस डील पर चिंता व्यक्त की थी।

लेकिन भारत दबाव में नहीं आया। उसने कहा कि रूस के साथ उसके लंबे समय से रक्षा संबंध हैं। एस-400 उसकी वायु रक्षा नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय अधिकारियों ने लगातार इस बात पर जोर दिया कि उनकी रक्षा खरीद राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों से तय होती है। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि CAATSA जैसे बाहरी कानून भारत के अपनी धरती की रक्षा करने के संप्रभु अधिकार को नहीं बदल सकते। भारत के नज़रिए से, एस-400 पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान दोनों से संभावित खतरों के खिलाफ एक जरूरी क्षमता प्रदान करता है।

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पाकिस्तान को किया पस्त

लेकिन भारत ने टकराव का रास्ता अपनाने के बजाय रणनीतिक कूटनीति का सहारा लिया। भारत ने वाशिंगटन को बताया कि वह अमेरिका के साथ अपनी बढ़ती रक्षा साझेदारी को महत्व देता है। खासकर समुद्री सहयोग और इंडो-पैसिफिक रणनीति जैसे क्षेत्रों में। लेकिन भारत ने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए उसकी रक्षा खरीद में विविधता बनी रहेगी। इस दौरान भारत में अमेरिका से पी-8आई सर्विलांस एयरक्राफ्ट और अपाचे हेलीकॉप्टर की बड़े पैमाने पर खरीद की।

CAATSA के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी होने पर छूट देने का अधिकार है। इस प्रावधान ने दोनों पक्षों को राजनयिक रूप से आगे बढ़ने की गुंजाइश दी। भारत को 2021 के अंत में एस-400 सिस्टम की पहली डिलीवरी मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन बाइडेन प्रशासन ने सावधानी बरती। उसने बातचीत जारी रखते हुए प्रतिबंधों को रोक दिया। आज तक अमेरिका ने भारत पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है।

कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि इसका कारण इंडो-पैसिफिक रणनीति और क्वाड एलायंस में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता के बारे में साझा चिंताएं हैं। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूस से एस-400 सिस्टम खरीदा। यह भारत की कूटनीति का एक शानदार उदाहरण है। आज इसने पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करके अपनी उपयोगिता साबित कर दी। अगर भारत अमेरिका के दबाव में आ जाता तो आज भारत के पास सुदर्शन नहीं होता।

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