हैदराबाद स्थित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष का संघर्ष आखिरकार रंग लाया और चीनी युक्त पेय पदार्थों पर ‘ओआरएस’ शब्द के दुरुपयोग पर भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने प्रतिबंध लगा दिया है। एफएसएसएआई ने पिछले हफ्ते एक एडवाइजरी जारी कर खाद्य एवं पेय कंपनियों को अपने उत्पादों के नाम, लेबल या ट्रेडमार्क में उपसर्ग के रूप में भी ‘ओआरएस’ शब्द के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया है।
असल में डॉ. शिवरंजनी संतोष की लड़ाई भी इसी के खिलाफ थी। डॉक्टर कहती हैं, ओआरएस लेने के बावजूद बच्चों को गंभीर रूप से डिहाइड्रेटेड अपने क्लिनिक में आते देखना सोचने पर विवश करने वाला विषय था। उन्होंने पाया कि बाजार में ओआरएस के नाम पर बिकने वाले टेट्रापैक में अक्सर सही चीनी-नमक अनुपात नहीं होता था। इतना ही नहीं इन पैक्स में ऐडेड शुगर की मात्रा अधिक होती थी, जिसके कारण ये ओआरएस, बाजार में बिकने वाले अन्य फ्लेवर वाले पेय की तरह हो जाते थे। एफएसएसएआई के आदेश के बाद अब ओआरएस की शुद्धता प्रमाणिक हो सकेगी।
अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर कैसे पता किया जाए कि जो ओआरएस आप ला रहे हैं वह इस्तेमाल के लिए सही है या नहीं?