ओयो के पक्ष में दिया स्टे
कोर्ट ने यह भी पाया संस्कारा रिजॉर्ट ने मामले से जुड़ी अहम जानकारियां, जैसे चेक-आउट रिकॉर्ड, बंद कमरों का डेटा और ऑपरेशनल एग्रीमेंट की कॉपी प्रस्तुत नहीं की, जो इस केस के लिए बेहद जरूरी थे। कोर्ट ने यह संकेत भी दिया कि ऐसा प्रतीत होता है कि रिजॉर्ट के मालिक टैक्स संबंधित मामलों, खासकर जीएसटी देनदारी से जुड़ी चिंताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
कोर्ट ओयो की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने संस्कारा रिजॉर्ट (सबू सोडियम क्लोरो लिमिटेड) की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
जस्टिस प्रवीर भटनागर ने कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ओयो के पक्ष में स्टे (रोक) का आदेश दिया। यह भी स्वीकार किया कि बुकिंग सेल रजिस्टर, एग्रीमेंट आदि जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत न करना संस्कारा की ही चूक को दर्शाता है। कोर्ट ने एक विस्तृत और स्पष्ट आदेश जारी किया है। पुलिस को दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) पेश करने का निर्देश दिया है।
नियमों का पूरी तरह पालन किया: ओयो
ओयो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर.बी. माथुर और लिपि गर्ग ने कहा, ‘माननीय न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि संबंधित एफआईआर अनावश्यक और अनुचित थी। ऐसा लगता है कि यह शिकायतकर्ता की जीएसटी देनदारियों से ध्यान भटकाने की एक सोची-समझी कोशिश है। ओयो का होटल के साथ कई वर्षों से कोई व्यावसायिक संबंध नहीं रहा है। ओयो के रिकॉर्ड साफ तौर पर दिखाते हैं कि उस संपत्ति पर की गई बड़ी संख्या में बुकिंग्स ‘वॉक-इन’ थीं, जिन्हें संभवतः होटल के अपने स्टाफ की ओर से ओयो के साथ कॉन्ट्रैक्ट टर्म के दौरान सीधे दर्ज किया गया था। इसके अलावा, हमने संस्कारा रिजॉर्ट के निदेशक मदन सिंह जैन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि की कार्यवाही शुरू की है।’
ओयो ने कोर्ट के सामने तथ्यात्मक रूप से यह साबित किया कि कंपनी ने सभी आवश्यक नियमों का पूरी तरह पालन किया है। इसमें पूरी और सटीक बुकिंग जानकारी के साथ समर्थनकारी दस्तावेजों का प्रस्तुत करना भी शामिल है। कोर्ट ने इस बात को भी नोट किया कि जीएसटी विभाग ने जानकारी सीधे संस्कारा रिजॉर्ट से मांगी थी, न कि ओयो से। यह भी स्पष्ट किया गया कि ओयो पहले ही सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध करा चुका है।
इसके अलावा यह भी उल्लेख किया गया कि संस्कारा इससे पहले जयपुर हाईकोर्ट में एक दीवानी(सिविल) रिट याचिका लेकर गया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। उस फैसले में यह स्पष्ट रूप से दोहराया गया कि चालान (इनवॉइस) जारी करने की जिम्मेदारी संस्कारा की ही थी, क्योंकि ओयो की भूमिका केवल एक सेवा और कमीशन आधारित प्लेटफॉर्म तक सीमित है।
इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है। ओयो ने कहा है कि वह किसी भी जांच में पूरी तरह सहयोग करेगी। जब भी किसी एजेंसी को जरूरत होगी, सही और उपयुक्त जानकारी उपलब्ध कराएगी।