दरभंगा निवासी के रूप में हुई नौशाद की पहचान
बोकारो जिले के बालीडीह थाना क्षेत्र के मिल्लतनगर से गिरफ्तार नौशाद की पहचान दरभंगा के सोभन गांव निवासी के रूप में हुई। उसके पास से बरामद पासपोर्ट में भी उसका जन्मस्थान यही दर्ज है।
स्थानीय लोग चुप, घर पाया गया जीर्ण-शीर्ण
पुलिस जांच के दौरान स्थानीय लोगों ने नौशाद के बारे में कोई जानकारी देने से परहेज किया। गांव में उसका घर खंडहरनुमा अवस्था में पाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि वह कभी-कभार गांव आता था। उसके पिता बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) से रिटायर्ड कर्मचारी हैं और नौशाद वहीं रहकर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में कार्यरत है।
नौशाद कैसे बना मुफ्ती, बंगाल कनेक्शन क्या?
मिली जानकारी के मुताबिक, नौशाद का जन्म 4 सितंबर 1994 को हुआ था। नौशाद ने मिल्लतनगर मखदुमपुर मस्जिद में आठ वर्ष के उम्र तक तालीम ली। इसके बाद वह बोकारो के चंद्रपुरा, हजारीबाग के पेलावल, धनबाद के पाथरडीह और यूपी के देवबंद स्थित दारूल उलूम में तालीम लेकर मुफ्ती बना गया। मुफ्ती बनने के बाद मोहम्मद काशिफ उर्फ नौशाद पश्चिम बंगाल चला गया। वह लंबे समय तक पश्चिम बंगाल में रहा।

पासपोर्ट से खुली जन्मतिथि और यात्रा की जानकारी
नौशाद के पास मौजूद पासपोर्ट की वैधता 31 जनवरी 2014 से 30 दिसंबर 2024 तक की पाई गई है। जांच-पड़ताल के बाद झारखंड पुलिस की टीम वापस लौट गई।
आतंकी तहसीन अख्तर से संबंध की जांच में जुटी एजेंसियां
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नौशाद के तार पटना के गांधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में सजायाफ्ता आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू से जोड़े जा रहे हैं। तहसीन, समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के मनियारपुर का निवासी था और दरभंगा में रहकर पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करते हुए इंडियन मुजाहिद्दीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल से संपर्क में आया था। एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच में जुटी हुई हैं।
इधर इस मामले को लेकर इंसाफ मंच के नेयाज अहमद ने कहा की नौशाद भले का घर दरभंगा के सोभन में है। लेकिन उसका परिवार काफी दिनों से बोकारो में रहा करता है। उसका परिवार करीब साथ आठ वर्षों से दरभंगा स्थित अपने घर नहीं आया है। इस तरफ का बयान देना बिल्कुल गलत है।