मनीष तिवारी भारत शहरों को बाहरी चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है। गुलाम जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद शहरों में सुरक्षित ठिकाने बनाने पर विचार हो रहा है। यूक्रेन में मेट्रो स्टेशनों ने लाखों लोगों की जान बचाई। विशेषज्ञ शहरों को भूकंप और आग रोधी बनाने के साथ युद्ध चुनौतियों के लिए भी तैयार करने की बात कर रहे हैं।
मनीष तिवारी। भारत शहरों को बाहरी चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है। गुलाम जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद शहरों में सुरक्षित ठिकाने बनाने पर विचार हो रहा है।
यूक्रेन में मेट्रो स्टेशनों ने लाखों लोगों की जान बचाई। विशेषज्ञ शहरों को भूकंप और आग रोधी बनाने के साथ युद्ध चुनौतियों के लिए भी तैयार करने की बात कर रहे हैं। सरकार पीएम आवास योजना के तहत बनने वाले भवनों में सुरक्षित कमरे बनाने पर विचार कर रही है।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में नई लकीर खींचने वाले ऑपरेशन सिंदूर के जारी रहने के बीच भारत ने अपनी लंबी तैयारी के तहत शहरों को बाहरी चुनौतियों के लिहाज से भी तैयार करना शुरू कर दिया है।
छह मई को गुलाम जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेनाओं के हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और समूह के रूप में ड्रोन हमलों की जो कार्रवाई की गई, उसके बाद पूर्व तैयारी के रूप में शहरों में नागरिकों के सुरक्षित ठिकाने तैयार करने की चर्चा सरकार के स्तर पर शुरू हुई है।
मेट्रो स्टेशनों में बने शेल्टर ने बचाई लाखों लोगों की जान
रूस के साथ चल रहे संघर्ष में यूक्रेन के शहरों, खासकर राजधानी कीव में भूमिगत मेट्रो स्टेशनों ने प्रभावी बम शेल्टर के रूप में लाखों लोगों की जान बचाई है। यूरोप के अनेक शहरों ने दूसरे विश्व युद्ध के अनुभवों के सबक लेकर रूस और अमेरिका के बीच लंबे समय तक चले शीत युद्ध के समय सैन्य तनाव को देखते हुए इस प्रकार की तैयारियां की थीं और उनका लगातार रखरखाव किया जा रहा है।
‘शहरों की सुरक्षा को लेकर सरकार को दूरगामी सोच अपनानी होगी’
शहरी मामलों के विशेषज्ञों ने भी इसके लिए सुझाव दिए हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक रहे हितेश वैद्य के अनुसार बदलते वैश्विक समीकरण और युद्ध नीति के नए आयामों को देखते हुए यह सही समय है जब भारत को अपने शहरों की सुरक्षा को लेकर एक नई और दूरगामी सोच अपनानी होगी।
शहरों को केवल आंतरिक चुनौतियों के लिए ही तैयार नहीं करना है, बल्कि बाहरी खतरों को भी ध्यान रखना होगा। जिस तरह हम भूकंप रोधी और अग्निरोधी इमारतों की बात करते हैं, उसी प्रकार हमें अपने शहरों को भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाने की दिशा में सोचना होगा।
चीन की चुनौतियों से भी तैयार रहने की जरूरत
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाई को न्यू नार्मल करार दिया है। यानी पाकिस्तान के हर दुस्साहस के लिए पूरी तरह तैयार रहने की जरूरत है। ताजा प्रसंग ने आक्रामक के साथ ही रक्षात्मक तैयारियों का महत्व भी रेखांकित किया है। इसके साथ ही चीन की चुनौती भी है, जिसे सैन्य विशेषज्ञों ने भी सबसे गंभीर माना है।
हितेश वैद्य के अनुसार भारत में राष्ट्रीय भवन संहिता निर्माण के लिए मुख्य मार्गदर्शिका है, जो संरचनात्मक सुरक्षा पर केंद्रित है। यह संहिता आधुनिक युद्धक खतरों जैसे मिसाइल या ड्रोन हमलों से बचाव के विशिष्ट प्रविधानों पर विस्तृत रूप से प्रकाश नहीं डालती है।
क्या है सरकार की योजना?
इसकी समीक्षा के साथ ही पीएम आवास योजना जैसे कार्यक्रमों के तहत बनने वाले बहुमंजिला अपार्टमेंट कांप्लेक्स या सामुदायिक भवनों में इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है। उनका सुझाव है कि सरकार घनी आबादी वाले क्षेत्रों और रणनीतिक रूप से अहम शहरों में नए आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में एक निश्चित आकार के री-इन्फोर्स्ड सुरक्षित कमरों का निर्माण अनिवार्य कर सकती है।
इसके अलावा सार्वजनिक आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना चाहिए और जो भी मेट्रो, पार्किंग स्थलों और सुरंगों के रूप में जो भी भूमिगत संरचनाएं हैं, उन्हें इस तरह डिजाइन और विकसित किया जाना चाहिए कि उनका आपात स्थिति में दोहरा उपयोग हो सके।यह भी पढ़ें: Mock Drill: फिर बजेगा सायरन, होगा ब्लैकआउट… इन चार राज्यों में होगा मॉकड्रिल; क्या है भारत का प्लान?