आसिफ ने शिमला समझौते पर की टिप्पणी
पाकिस्तानी टीवी चैनल समा टीवी पर बात करते हुए आसिफ ने कहा, शिमला समझौता अब एक मृत दस्तावेज है। भारत और पाकिस्तान आज 1948 की स्थिति पर वापस पहुंच गए हैं। उन्होंने नियंत्रण रेखा (LOC) को पहले भारत-पाकिस्तान के बाद स्थापित युद्ध विराम रेखा बताया। आसिफ ने कहा कि शिमला समझौता अप्रासंगिक होने के कारण ‘एलओसी अब युद्ध विराम रेखा है।’
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बताई स्थिति
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि भारत की कार्रवाई ने पाकिस्तान के भीतर आंतरिक चर्चाओं को बढ़ावा दिया है, लेकिन किसी भी समझौते को रद्द करने के लिए कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया गया है। अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।’ उन्होंने संकेत दिया कि शिमला समझौते सहित मौजूदा द्विपक्षीय समझौते प्रभावी बने हुए हैं।
शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की बुरी हार के बाद दोनों देशों के बीच हुआ था। 1972 में हुए इस समझौते में द्विपक्षीय संबंधों को तय करने के लिए सिद्धांत निर्धारित किए गए थे, जिसमें सबसे प्रमुख था कि दोनों पक्ष विवाद के निपटारे के लिए तीसरे पक्ष को मध्यस्थ नहीं बनाएंगे। हालांकि, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान के बाद इस पर सवाल उठ रहे थे कि क्या वास्तव में पाकिस्तान ने इसे खत्म कर दिया है।