कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान के चलते प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन दब कर रह गया। कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ट्रंप के व्यापारिक हितों की शर्त पर सीजफायर कराने के दावे का कोई जवाब नहीं दिया। यह सरकार की मंशा पर कई तरह के सवाल खड़े करता है।
दबकर रह गया राष्ट्र के नाम संबोधन
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पीएम मोदी का लंबे समय से टलता आ रहा देश के नाम संबोधन राष्ट्रपति ट्रंप के कुछ मिनट पहले के किए गए खुलासों में पूरी तरह से दबकर रह गया। उन्होंने कहा कि पीएम की ओर से इस पर एक शब्द भी नहीं कहा गया। क्या भारत में अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर ली और वह पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए किसी तटस्थ जगह पर जाने के लिए तैयार हो गया है?
क्या भारत ने मान ली अमेरिका की मांग?
जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या अब भारत अमेरिका की मांग को मानते हुए ऑटोमोबाइल, कृषि और दूसरे क्षेत्र में अपने बाजार खोल देगा? कांग्रेस का कहना था कि आने वाले महीने सतर्क कूटनीति और सामूहिक संकल्प की मांग करेंगे, जिसके लिए पीएम मोदी और सरकार को पहल करनी होगी। ऐसे में डायलॉग बाजी और एक दो लाइन बोलकर वक्त की जरूरत को जवाब नहीं दिया जा सकता।
ट्रेड को हथियार बनाने के दावे पर सवाल
उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने सोमवार की शाम अपने बयान में दावा किया कि अमेरिका ने व्यापारिक हितों को देखते हुए भारत को सीजफायर के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ट्रेड को हथियार बनाकर ऑपरेशन सिंदूर रुकवाया। ट्रंप के बयान के बहाने कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम सिंदूर का कारोबार नहीं करते। खेड़ा में ट्रंप के बयान को व्यथित कर देने वाला करार देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में सिंदूर के साथ कभी सौदा स्वीकार्य नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी से उम्मीद करते थे कि वह ट्रंप के इस खुलासे का त्वरित और करारा जवाब देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मध्यस्थता की बात स्वीकार नहीं
खेड़ा ने आगे कहा कि एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि वह कश्मीर पर मध्यस्थता करेंगे। लेकिन कश्मीर पर मध्यस्थता हमें स्वीकार्य नहीं है। कश्मीर ऐसा मुद्दा है, जिस पर मध्यस्थता की बात कोई भी भारतीय स्वीकार नहीं कर सकता। पिछली तमाम सरकारों ने यह सुनिश्चित किया कि कश्मीर एक द्विपक्षी मसाला है, उसका अंतरराष्ट्रीयकरण संभव नहीं है। लेकिन पीएम ने अपने संबोधन में इस पर भी कुछ नहीं बोला। यह अपने आप में हैरान कर देने वाला है।
ट्रंप के ऐलान पर जताई हैरानी
कांग्रेस ने दोनों पक्षों से पहले अमेरिका के सीजफायर के ऐलान को लेकर भी हैरानी जताई। कांग्रेस का कहना था कि इस कोशिश में जिस तरह से भारत पाकिस्तान को हाइफन के जरिए (-) एक जगह रखने की कोशिश की गई, उसके प्रतिवाद के तौर पर आधिकारिक रूप से किसी ने कोई चुनौती नहीं दी।