प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को तियानजिन में मुलाकात की। यह करीब 10 महीनों में दोनों की पहली मुलाकात है। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत और चीन के संबंधों को बेहतर बनाने के मकसद के साथ व्यापक चर्चा की। यह मुलाकात अमेरिका की व्यापार और शुल्क संबंधी नीतियों की वजह से भारत-अमेरिका संबंधों में आई अचानक गिरावट के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
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PM Modi China Visit
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पीएम मोदी और शी ने रविवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर मिले। चर्चा के लिए मुद्दों की व्यापकता को देखते हुए आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि वे दिन में बाद में फिर से मिल सकते हैं। दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात अक्तूबर 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हुई थी।
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सोमवार को भारत रवाना होने से पहले पीएम मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिलने की उम्मीद है। एससीओ शिखर सम्मेलन की शुरुआत रविवार को शी की ओर से आयोजित एक आधिकारिक भोज से होगी। चीन की ओर से आयोजित एससीओ प्लस शिखर सम्मेलन में 20 विदेशी नेता भाग ले रहे हैं। चीन इस साल रूस, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस और चीन वाले 10 सदस्यीय समूह का अध्यक्ष है।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। यहां पहुंचने वाले नेताओं में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उनके नेपाली समकक्ष केपी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शामिल हैं। नेताओं का शिखर सम्मेलन सोमवार को होगा।
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चीन के सहायक विदेश मंत्री लियू बिन ने पहले कहा था कि यह शिखर सम्मेलन एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन है। इस वर्ष चीन में राष्ट्राध्यक्षों और घरेलू कूटनीति के सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक होगा। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में अपने मुख्य भाषण में शी जिनपिंग शंघाई भावना को आगे बढ़ाने, समय के लिहाज से मिशन को आगे बढ़ाने और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए एससीओ के लिए चीन के नए दृष्टिकोण और प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। अधिकांश नेताओं के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के बाद भी बीजिंग में 3 सितम्बर को आयोजित होने वाली चीन की सबसे बड़ी सैन्य परेड देखने के लिए रुकने की उम्मीद है, जो जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीनी जन प्रतिरोध युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की जाएगी।