इसी गैलरी का एक हॉल सितंबर के महीने करीब 20 फुट गहरा धंस गया है। वहां रखा आर्कियोलॉजिकल सामान हटा लिया गया है। इस गैलरी में वे मूर्तियां, शिल्प आदि रखे हुए हैं जो भारत से तस्करी करके अमेरिका और यूरोप के देशों में चले गए थे। उन्हें मोदी सरकार के एक विशेष अभियान के तहत वापस लाया गया है। उनमें तीसरी ईस्वी से लेकर 14वीं-15वीं ई. तक के सिक्के। 12वीं से 13वीं शताब्दी के किरातार्जुनयम शिल्प की मूर्तियां, मानवीय आकृतियां, भाले, हारयाना टाइल्स और बौद्ध प्रतिमाएं आदि शामिल हैं।
गैलरी का फर्श धंसने से आ रही समस्या
लोगों को दिखाने के लिए इस गैलरी का विशेष तौर पर बनाया गया था। मगर गैलरी का फर्श धंस जाने के कारण वहां से पुरातत्व महत्व का सामान हटा लिया गया है। म्यूजियम की दीवारों का फर्श भी कई जगह से उखड़ गया है। ऐसे में म्यूजियम देखने में बहुत भद्दा लग रहा है। ASI के एक अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर में मरम्मत के लिए हेड क्वार्टर के पास खर्च का ब्यौरा भेजा गया था। मरम्मत की अनुमानित लागत 45 लाख रुपए से अधिक की बताई जा रही है। अधिकारी ने बताया कि उसके बाद से अभी तक मरम्मत करने के बारे में कोई निर्देश नहीं आए हैं। फंड की कमी के कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है।
फंड की कमी के कारण ये भी प्रभावित
कंजर्वेशन फंड नहीं मिलने के कारण दिल्ली के पुरातत्व महत्व के कई स्मारक व भवन की मरम्मत का काम रुका हुआ है या बहुत सुस्त गति से चल रहा है। उनमें 14वीं शताब्दी का अलाई दरवाजा और खिड़की मस्जिद के अलावा शीश महल, रोशनआरा महल और बाराखंबा पुल की मरम्मत आदि का काम प्रमुखता से शामिल है।