पाकिस्तान में क्यों भेजा गया अमेरिका का विमान
यह भी कहा जा रहा है कि अमेरिका का एक खास विमान B350 AMS पाकिस्तान भेजा गया है। यह विमान इसलिए भेजा गया ताकि पता चल सके कि कहीं रेडियोएक्टिव पदार्थ तो नहीं फैला है। रेडियोएक्टिव पदार्थ वो होते हैं जो परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होते हैं और सेहत के लिए बहुत खतरनाक होते हैं। पाकिस्तान के पास 12 बड़े हवाई ठिकाने हैं। इन्हें तीन हिस्सों में बांटा गया है-उत्तरी, मध्य और दक्षिणी। इनके अलावा, कई ऐसे ठिकाने भी हैं जहां विमान नहीं उड़ते। ये ठिकाने मदद, मरम्मत, सामान पहुंचाने और कामकाज के लिए इस्तेमाल होते हैं।
अमेरिका से न्युक्लियर इमरजेंसी सपोर्ट जहाज़ B350 AMS पाकिस्तान पहुँचा है और ईजिप्ट वायुसेना द्वारा Boron की सप्लाई हो रही है जिसे रेडियोएक्टिव प्रसारण पर क़ाबू पाया जाता है ।
तमाम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है सरगोधा स्थित किराना हिल्स के बीच मुशाफ़ एयरबेस पर ब्रह्मोस के… pic.twitter.com/MIJKNs88ko
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) May 11, 2025
भारत ने सरगोधा समेत इन ठिकानों पर किए थे हमले
माना जा रहा है कि भारत ने शोरकोट में रफिकी एयरबेस, रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस, चकवाल में मुरीद, रहीमयार खान, सुक्कुर और चुनियान पर हमला किया। इसके अलावा, पासरूर और सियालकोट में रडार स्टेशनों पर भी हमले किए गए। रडार स्टेशन वो जगह होती है जहां से हवाई जहाजों और दूसरी चीजों पर नजर रखी जाती है। नई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि कराची में मलिर छावनी पर भी हमला हुआ था। इसका मतलब है कि भारतीय वायुसेना (IAF) ने पाकिस्तान के हर बड़े शहर में ठिकानों पर बमबारी की, जिनमें इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर, सियालकोट, सरगोधा और कराची शामिल हैं।

पीओके लेने का मौका क्या भारत ने गंवा दिया
डिफेंस एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में बिना घुसे ही आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इसके अलावा, पाकिस्तान के कई एयरबेस को भी निशाना बनाया गया। ये एक्शन पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए किया गया था। पहलगाम आतंकी हमले पाकिस्तान के गुनाहों का कायराना सबूत हैं। भारत के पास इस वक्त पूरी दुनिया का समर्थन हासिल था। ऐसे मौके पर भारत को पीओके को न पूरी तरह से तो कुछ हिस्सों पर कब्जा जरूर कर लेना चाहिए था। यह अच्छा मौका था।

मुशाफ एयरबेस को पहुंचा था नुकसान
कुछ लोगों का कहना है कि IAF ने किरना हिल्स में एक परमाणु ठिकाने पर भी हमला किया था। ये बातें तब सामने आईं जब सैटेलाइट तस्वीरों में सरगोधा के मुशाफ एयरबेस को नुकसान पहुंचा हुआ दिखा। माना जाता है कि किरना हिल्स के नीचे परमाणु हथियार रखे जाते हैं और मुशाफ एयरबेस का उनसे संबंध है।

रेडियोएक्टिव पदार्थ रिसने की अटकलें तेज
यह भी कहा गया कि अमेरिका के ऊर्जा विभाग का एक विमान (B350 AMS) पाकिस्तान में उतरा है। विमान के पाकिस्तान के ऊपर उड़ने की खबरों से ये अटकलें और तेज हो गईं कि हमले के बाद शायद रेडियोएक्टिव पदार्थ का रिसाव हुआ है। इन बातों के फैलने के बाद भारत में रक्षा मामलों पर नजर रखने वालों ने कहा कि पाकिस्तान ने शायद अमेरिका से युद्धविराम के लिए इसलिए कहा क्योंकि एक परमाणु ठिकाने पर हमला हुआ था। उन्हें डर था कि कहीं भारत उनके परमाणु हथियारों पर और हमले न कर दे। कुछ विदेशी खबरों में भी कहा गया कि पाकिस्तान को डर था कि कहीं उसके परमाणु कमांड पर हमला न हो जाए।

पाकिस्तान को क्या था परमाणु कमांड पर हमले का डर
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अमेरिका के एक पूर्व अधिकारी के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि कहीं उसकी परमाणु कमांड को खत्म न कर दिया जाए। नूर खान पर मिसाइल हमले को एक चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है। परमाणु कमांड वो जगह होती है जहां से परमाणु हथियारों को चलाने के आदेश दिए जाते हैं। हालांकि, भारत ने इन बातों को गलत बताया है।

अमेरिकी विमान की उड़ान का राज अभी भी राज
अमेरिका के परमाणु सुरक्षा विमान की उड़ान अभी भी एक रहस्य बनी हुई है। इस विमान को 2010 में पाकिस्तान आर्मी एविएशन को दे दिया गया था। पाकिस्तान भी B-350 विमान का एक मॉडल इस्तेमाल करता है। लेकिन अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि कहीं पाकिस्तान के विमान को ही गलती से अमेरिका का B-350 AMS तो नहीं समझ लिया गया।

B-350 AMS विमान क्या है, जिसकी इतनी चर्चा
अमेरिका के नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (NNSA) और ऊर्जा विभाग (DoE) परमाणु सुरक्षा के लिए बीचक्राफ्ट सुपर किंग एयर 350 या B350 का इस्तेमाल करते हैं। इसे मुख्य रूप से एरियल मेजरिंग सिस्टम (AMS) प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। AMS का मतलब है हवाई माप प्रणाली। इसका इस्तेमाल रेडियोएक्टिव पदार्थों की निगरानी और परमाणु आपात स्थिति में मदद के लिए किया जाता है। यह विमान परमाणु या रेडियोलॉजिकल घटनाओं के दौरान तुरंत जानकारी देता है। इसमें ऐसे सेंसर लगे होते हैं जो हवा और जमीन में रेडियोएक्टिव पदार्थों का पता लगा सकते हैं और उन्हें माप सकते हैं। इसके अलावा, यह परमाणु ठिकानों की जांच भी कर सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परमाणु सामग्री सुरक्षित है।
ये विमान परमाणु गतिविधियों का आकलन करते हैं
B350 AMS विमान रेडियोएक्टिव पदार्थों को मापने और खतरों का पता लगाने में मदद करता है। इससे परमाणु आपात स्थिति में तेजी से कार्रवाई करने में मदद मिलती है। यह विमान परमाणु गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने के लिए हवाई सर्वेक्षण जैसे विशेष मिशनों में भी मदद करता है। यही वजह है कि पाकिस्तान में इसकी मौजूदगी की खबरों से अटकलें तेज हो गईं कि इसे परमाणु सुरक्षा के लिए भेजा गया था।
कम ऊंचाई पर उड़ते हैं ऐसे विमान, ये है मकसद
यह विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए बनाया गया है। इसमें ऐसे लोग और उपकरण होते हैं जो इस तरह के काम के लिए खास तौर पर तैयार किए गए हैं। इसका काम परमाणु हथियारों को गलत हाथों में जाने से रोकना है। यह परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने, सुरक्षा बनाए रखने और तेजी से कार्रवाई करने पर जोर देता है। हालांकि, किंग एयर B350ER विमान विशेष मिशनों के लिए भी बहुत उपयोगी है, जिसमें युद्ध क्षेत्र भी शामिल हैं। इसे कई तरह के कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि खुफिया जानकारी जुटाना, निगरानी करना और टोही मिशन चलाना। टोही मिशन का मतलब है दुश्मन के बारे में जानकारी जुटाना। यह अपनी मजबूती, विश्वसनीयता और मुश्किल परिस्थितियों में काम करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
कहां और किन देशों में होता रहा है इनका इस्तेमाल
B350 AMS विमान के एडवांस वर्जन का इस्तेमाल अमेरिका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कनाडा जैसे देश करते हैं। अपनी बहुमुखी प्रतिभा और लचीले डिजाइन के कारण, यह मुश्किल माहौल में काम करने वाले सरकारी और सैन्य समूहों के लिए बहुत उपयोगी है। यह विमान कुल 1,878 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है। इसमें दो प्रैट एंड व्हिटनी PT6A-60A इंजन लगे हैं। किंग एयर 350ER की ईंधन क्षमता आमतौर पर 3,611 पाउंड (1,638 किलोग्राम) होती है। हालांकि, विस्तारित रेंज वाले मॉडल में अतिरिक्त ईंधन भी भरा जा सकता है। इसका मतलब है कि यह बिना ईंधन भरे बहुत लंबी दूरी तक जा सकता है।
इन खूबियों से लैस है ये विमान
B350 AMS विमान के कॉकपिट में कॉलिन्स एयरोस्पेस प्रो लाइन फ्यूजन है, जिसमें नेक्स्टजेन और सटीक GPS क्षमताएं हैं। इसमें एक डुअल प्राइमरी फ्लाइट डिस्प्ले, एक मल्टी-स्कैन वेदर रडार स्कैनर और आसान सिंगल-पायलट कंट्रोल भी है। कॉकपिट विमान का वह हिस्सा होता है जहां से पायलट विमान को चलाते हैं। यह विमान 14.22 मीटर लंबा, 4.37 मीटर ऊंचा और 17.65 मीटर चौड़ा है। इसका अधिकतम वजन रैंप के लिए 7,530 किलोग्राम, टेकऑफ और लैंडिंग के लिए 7,484 किलोग्राम और शून्य ईंधन के लिए 7,110 किलोग्राम है। इसकी अधिकतम पेलोड क्षमता 1,361 किलोग्राम है। पेलोड का मतलब है विमान में ले जाया जा सकने वाला अधिकतम वजन। इसके केबिन का अंदरूनी हिस्सा बदला जा सकता है। इसलिए इसे यात्री और माल परिवहन, खोज और बचाव और एयर एम्बुलेंस संचालन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।