संसद के बजट सत्र का तीसरा दिन दोनों ही सदनों में हंगामें से भरा रहा है. पहले विपक्ष ने सरकार पर कुंभ में हुई भगदड़ में मरने वालों के असल आंकड़े छुपाने का आरोप लगाया.
उसके बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिका में मौजूदगी पर सवाल उठाए.
राहुल के दावे के बाद बीजेपी के तमाम नेता उन पर हमलावर हैं और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
राहुल गांधी ने क्या कहा?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भारत की आर्थिक नीति से लेकर विदेश नीति तक का ज़िक्र किया.
राहुल गांधी ने कहा, “मैंने राष्ट्रपति का भाषण सुना. मैंने इससे पहले और उससे पहले और उससे भी पहले इसी तरह का भाषण सुना है. हमने ये किया है, हमने वो किया है.”
राहुल गांधी ने कहा कि चीन कई चीजों के निर्माण में भारत से दस साल आगे है और हमें भी बच्चों को बैटरी, रोबोट, इलेक्ट्रिक कार के बारे में पढ़ाना होगा.
राहुल गांधी ने इस भाषण के दौरान कहा, “अगर हमारे देश में अच्छा प्रोडक्शन सिस्टम होता तो विदेश मंत्री को अमेरिका जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति की ताजपोशी में हमारे प्रधानमंत्री को शामिल कराने के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता.”
राहुल गांधी के इस बयान के साथ ही सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों की तरफ से ज़ोरदार विरोध शुरु हो गया. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बिना किसी प्रमाण के ऐसा बयान नहीं दे सकते.
रिजिजू ने कहा, “यह दो देशों के संबंधों से जुड़ा हुआ मुद्दा है. नेता प्रतिपक्ष को इस तरह की बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए, यहां गंभीर विषय पर चर्चा चल रही है.”
जिस दौरान राहुल गांधी भाषण दे रहे थे, उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी लोकसभा में मौजूद थे और उनके पीछे मौजूद सत्ता पक्ष के सांसदों ने राहुल गांधी के इस बयान का जमकर विरोध किया.
विदेश मंत्री एस जयशंकर का पलटवार
लोकसभा में राहुल गांधी के बयान पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीखे शब्दों में पलटवार किया है.
सोशल मीडिया एक्स पर अपने अकाउंट में एस जयशंकर ने लिखा, “नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जानबूझकर दिसंबर 2024 की मेरी अमेरिका यात्रा के बारे में झूठ बोल रहे हैं.”
जयशंकर ने लिखा, “मैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के विदेश मंत्री और वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिलने गया था.”
एस जयशंकर ने अमेरिका में उस दौरान अपने कुछ अन्य कार्यक्रमों का भी ज़िक्र किया और कहा कि कभी भी ‘पीएम को आमंत्रण’ के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई थी.
“यह एक सामान्य ज्ञान की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री इस तरह के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेते हैं.. राहुल गांधी का बयान राजनीति से प्रेरित हो सकता है, लेकिन इससे भारत को विदेशों में नुक़सान होता है.”
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने यानी जनवरी की 20 तारीख़ को अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यभार संभाला है.
उनकी ताजपोशी के मौक़े पर देश-विदेश के कई मेहमान अमेरिका में मौजूद थे, जिनमें राजनीतिक शख्सियत और कारोबारी लोग भी शामिल हैं.
हलांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसमें शामिल नहीं थे
भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर उस कार्यक्रम में मौजूद थे.
विदेश मंत्री जयशंकर का अमेरिका दौरा
ट्रंप की ताजपोशी के समारोह में पीएम मोदी की ग़ैर मौजूदगी और मेहमानों की सूची पर भी खूब चर्चा हुई थी.
इस समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित करने के ट्रंप के फ़ैसले ने कई लोगों को चौंकाया.
हलांकि शी जिनपिंग ने समारोह में शिरकत नहीं की थी.
शी, ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनके बड़े प्रतिद्वंद्वी थे, जबकि ट्रंप के पहले कार्यकाल में पीएम मोदी के साथ उनके काफ़ी अच्छे संबंध रहे थे.
एस जयशंकर ने वहां माइकल वाल्ट्ज से भी मुलाक़ात की थी, जिन्हें उस वक़्त ट्रंप ने अपने आने वाले प्रशासन के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर चुन लिया था.
बाद में 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को लेकर काफ़ी चर्चा हुई थी.
भारत में सोशल मीडिया पर कई लोग जयशंकर की तस्वीर शेयर करते हुए लिख रहे थे कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय विदेश मंत्री को पहली पंक्ति में जगह दी गई थी.
इस फोटो को शेयर करते हुए अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू की डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर सुहासिनी हैदर ने लिखा, ”यह अहम है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में जयशंकर को पहली पंक्ति में जगह मिली जबकि क्वॉड गुट के देश ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों को कुछ पीछे की पंक्ति में जगह मिली.”
अमेरिका के डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान ने जयशंकर की तस्वीर दिखाते हुए एक वीडियो बनाया है, जिसमें वह दिखा रहे हैं कि भारतीय विदेश मंत्री पहली नहीं तीसरी लाइन में बैठे थे.
ट्रंप ने भारत के बारे में क्या कहा
ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी से उनकी पहली बातचीत बीते सोमवार को हुई थी. इससे पहले पीएम मोदी ने नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत पर उन्हें बधाई देने के लिए फ़ोन किया था.
सोमवार को पीएम मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फ़ोन पर बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने बयान जारी किया था.
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार उचित तरीक़े से होना चाहिए. यानी ट्रंप चाहते हैं कि व्यापार घाटा अमेरिका का नहीं होना चाहिए.
व्हाइट हाउस ने बताया कि इसमें पीएम मोदी के व्हाइट हाउस आने की योजना पर भी बातचीत हुई.
यानी व्हाइट हाउस ने अपने बयान में आधिकारिक रूप से पीएम मोदी के अमेरिका आने के संकेत दिए.
ट्रंप से बातचीत के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने जो बयान जारी किया और कहा कि दोनों नेता जल्द ही आपसी सहमति से तय हुई तिथि पर मिलेंगे.
व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि भारत के अमेरिका से ज़्यादा सुरक्षा उपकरण ख़रीदने और संतुलित द्विपक्षीय व्यापार पर बात हुई.
जहाँ भारत ने कहा कि ट्रंप से तकनीक, व्यापार, निवेश, ऊर्जा और रक्षा पर बात हुई है, वहीं व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत में दो मुद्दों पर ज़ोर दिया.
डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी को अपना दोस्त बताते हैं. पीएम मोदी भी ट्रंप को अपना दोस्त बताते हैं.
पिछले साल सितंबर में पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बुलावे पर क्वॉड समिट में शामिल होने अमेरिका गए थे तब ट्रंप ने कहा था कि पीएम मोदी से उनकी मुलाक़ात होगी.
तब ट्रंप चुनावी अभियान चला रहे थे. हालांकि पीएम मोदी ट्रंप से बिना मिले भारत आ गए थे. 17 सितंबर को मिशिगन के फ्लिंट में एक टाउनहॉल के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रंप ने कहा था, ”अगले हफ़्ते मोदी अमेरिका आ रहे हैं और उनसे मुलाक़ात होगी. वह शानदार व्यक्ति हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित