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Republic Day 2025,26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान, कब से शुरू हुई परेड, गणतंत्र दिवस के बारे में 7 इंट्रेस्टिंग फैक्ट जानिए – republic day parade 7 interesting facts about india s republic day ceremony

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Jan 26, 2025


नई दिल्ली : देश का 76वां गणतंत्र दिवस। दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारत की शक्ति, देश के शौर्य, नारीशक्ति, संस्कृति, विविधता का अद्भुत प्रदर्शन। जल, थल और नभ में हिंदुस्तान की आन-बान और शान का प्रतिनिधित्व करतीं तीनों सेनाओं के अलावा अर्धसैनिक बलों का प्रतिनिधित्व। हवा में कलाबाजियां करते विमान। हैरतअंगेज कारनामे करते जांबाज डेयरडेविल्स जिन्हें देख कोई भी दांतों तले उंगलियां दबा ले। गर्व से सीना फुला देने वाला पल। भव्य परेड। राज्यों, मंत्रालयों की मनोहारी झांकियां। मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति और इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि प्रबोवो सुबियांतो। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तीनों सेनाओं के प्रमुख समेत तमाम गणमान्य हस्तियां और शान से लहराता प्यारा तिरंगा। कर्तव्य पथ पर भारत की आन-बान-शान, वैभव, शौर्य…। टीवी और मोबाइल फोन की स्क्रीन से चिपकीं करोड़ों आंखें। पूरा देश 76वें गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा हुआ है। आइए इस मौके पर जानते हैं गणतंत्र दिवस के बारे में 7 रोचक तथ्य।1- 26 जनवरी को क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस?
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को इसलिए मनाया जाता है कि इसी दिन 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हुआ था। दुनिया के नक्शे पर एक महान गणतंत्र का उदय हुआ था। गणतंत्र यानी गण का तंत्र यानी जनता का तंत्र यानी जनता का शासन। किसी राजा, नवाब, बादशाह, सम्राट का शासन नहीं, बल्कि जनता का शासन। जहां राज्य का शासन किसी रानी के गर्भ से निकले शख्स के हाथों में नहीं बल्कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि के हाथों में होता है।

2- 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान?
देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। उससे पहले ही, संविधान बनाने का काम शुरू हो चुका था। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। 166 दिनों तक जनता के लिए ओपन सेशंस रखा गया जिसमें संविधान के मसौदे पर चर्चा हुई। इस तरह 1079 दिनों की अथक मेहनत से हमारा संविधान अस्तिव में आया। 26 नवंबर 1949 को संविधान आंशिक तौर पर लागू हुआ लेकिन पूरी तरह प्रभाव में आया 26 जनवरी1950 को।

आखिर 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया संविधान? किसी और दिन भी तो लागू किया जा सकता था। इसका जवाब ये है कि ये तारीख बहुत सोच समझकर चुनी गई थी। दरअसल, 1930 में 26 जनवरी के ही दिन कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज के संकल्प की घोषणा की थी। इसमें ब्रिटिश शासन से पूरी आजादी की मांग की गई थी। उसी की याद में संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू करने का फैसला किया गया।

3- परेड से पहले करीब 600 घंटे की कड़ी प्रैक्टिस
26 जनवरी 1950 को पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हुआ। उसका नेतृत्व गोरखा रेजिमेंट के तत्कालीन ब्रिगेडियर मोती सागर ने की थी। पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे। परेड की तैयारी 6 महीने पहले ही पिछले साल जुलाई में शुरू हो जाती है। तभी प्रतिभागियों को औपचारिक तौर पर उनके शामिल होने के बारे में जानकारी दे दी जाती है। ये प्रतिभागी करीब कुल 600 घंटे की कड़ी प्रैक्टिस करते हैं और तब जाकर गणतंत्र दिवस पर भव्य परेड का आयोजन होता है। इस साल 23 जनवरी को फुल ड्रेस रिहर्सल हुआ था।

4- हर साल किसी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है
हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के लिए किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष जो प्रधानमंत्री भी हो सकते हैं, राष्ट्रपति भी हो सकते हैं, को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है। इस बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि हैं। संयोग से 1950 के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में भी इंडोनेशिया के ही तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे।

5- हर साल गणतंत्र दिवस समारोह की होती है एक थीम
हर साल, गणतंत्र दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है। अलग-अलग राज्य और सरकारी विभाग इस थीम का पालन करते हैं। इस बार की झांकियों के लिए थीम है- ‘स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास’। ये झांकियां प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक विरासत जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेंगी।

6- कहां से शुरू होती है परेड, कहां तक जाती है?
गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत राष्ट्रपति भवन के पास रायसीना हिल से शुरू होती है। यह कर्तव्य पथ से होकर इंडिया गेट के पास से गुजरती है और ऐतिहासिक लाल किले तक जाती है।

7- पहला गणतंत्र दिवस समारोह कर्तव्यपथ (पहले राजपथ) पर नहीं हुआ था
1950 का पहला गणतंत्र दिवस समारोह कर्तव्यपथ पर नहीं हुआ था, जिसे पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था। तो कहां हुआ था? जवाब है अब के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में जो तब इरविन स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। पहले गणतंत्र दिवस समारोह में 100 से अधिक विमानों और भारतीय सेना के 3000 कर्मियों ने भाग लिया था।

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