विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के मामले में हर समय सहजता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। लेकिन भारत ने ये कोशिश की है कि राजनीति या सरकारें बदलने के बावजूद पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थिर बने रहें। इसके लिए भारत ने ‘साझा हित’ बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे सभी पड़ोसियों को यह समझना चाहिए कि भारत के साथ काम करने से आपको फायदा होगा और अगर कोई देश भारत से दूरी बनाता है, तो उसे नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने एक संवाद सत्र के दौरान कहा कि कुछ देशों को यह बात जल्दी समझ में आ जाती है, कुछ को थोड़ा समय लगता है। लेकिन पाकिस्तान को छोड़ दें, तो यह बात बाकी सभी पर लागू होती है। पाकिस्तान की पहचान ही सेना और भारत-विरोध से बनी हुई है, इसलिए वहां अलग सोच है।
जयशंकर ने शनिवार रात अपने एक्स हैंडल पर करीब एक घंटे तक चली बातचीत का लिंक साझा किया। उन्होंने बताया कि अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंधों में पिछले 11 वर्षों में काफी बदलाव आए हैं। अमेरिका के साथ जहां रिश्तों में कभी-कभी अनिश्चितता होती है, वहीं चीन के साथ रिश्तों को लेकर भारत को मजबूत तैयारी करनी पड़ी है, क्योंकि चीन से कुछ मुश्किल हालात भी सामने आए हैं- जैसे जून 2020 में गलवां घाटी में हुई झड़प।
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11 वर्षों में पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत किया
विदेश मंत्री ने कहा कि पहले भारत ने सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिया, जो बहुत गलत था। अब चीजें बदली हैं और भारत ने सीमा पर सड़कों और दूसरे जरूरी संसाधनों को मजबूत किया है। जयशंकर ने बताया कि मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, ASEAN और हिंद-प्रशांत देशों के साथ रिश्तों को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक लक्ष्य दिया है और उस तक पहुंचने का रास्ता भी दिखाया है।
ऑपरेशन सिंधु और ऑपरेशन गंगा का भी किया जिक्र
एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंधु और ऑपरेशन गंगा का भी जिक्र किया, जिनके जरिए भारत ने इस्राइल-ईरान के बीच सैन्य टकराव और यूक्रेन में युद्ध से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाला। भारत के पड़ोस में अस्थिरता और सरकारों के बदलाव पर जयशंकर ने कहा कि ये सब भारत के लिए अच्छा नहीं है, लेकिन ऐसे समय में भारत ने ‘साझा हित’ पर काम किया है ताकि रिश्ते मजबूत बने रहें, चाहे सरकार कोई भी हो।
श्रीलंका और मालदीव का भी उदाहरण दिया
जयशंकर ने श्रीलंका और मालदीव का उदाहरण दिया, जहां सरकारें बदलीं लेकिन भारत के साथ अच्छे रिश्ते बने रहे। नेपाल के बारे में उन्होंने कहा कि वहां की आंतरिक राजनीति से भारत कई बार प्रभावित होता है, लेकिन फिर भी हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। जयशंकर ने कहा, ‘जब चीजें मुश्किल हों, तो हमें हार नहीं माननी चाहिए। समझदारी का काम यह है कि हम साझेदारी बनाए रखें और रिश्तों में स्थिरता लाएं।’
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भारत ने दुनिया को गलत हरकत पर जवाब देने का संदेश दिया
पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि 2008 का मुंबई हमला एक बड़ा मोड़ था। इसके बाद देश की सोच बदली और अब भारत सख्ती से जवाब देता है। उन्होंने उरी सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदमों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अब भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि अगर कोई देश गलत हरकत करेगा तो उसे जवाब मिलेगा।
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