स्वीडन में दो साल पहले क़ुरान जलाने वाले शख्स की, बुधवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
38 साल के सलवान मोमिका को स्टॉकहोम के एक नज़दीकी कस्बे में एक अपार्टमेंट में गोली मार दी गई. स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के बाहर साल 2023 में मोमिका ने क़ुरान जला दी थी, इसके बाद कई जगह प्रदर्शन हुए थे.
स्टॉकहोम पुलिस का कहना है कि इस सिलसिले में पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक मोमिका को उस वक्त गोली मारी गई जब वह टिक टॉक पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे.
मोमिका की हत्या उस समय हुई जब स्टॉकहोम की एक अदालत उनके कु़रान जलाने से जुड़े मामले में फै़सला सुनाने वाली थी.
पुलिस ने क्या बताया?
स्थानीय समयानुसार बुधवार रात 11 बजे के आसपास पुलिस को संदिग्ध गोलीबारी की सूचना दी गई थी.
पुलिस ने शुरुआत में हमले का शिकार हुए शख़्स का नाम ज़ाहिर नहीं किया लेकिन ये बताया गया कि गोली लगे एक शख़्स को अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, गुरुवार को इस शख़्स ने दम तोड़ दिया.
स्थानीय मीडिया में बताया गया है कि मोमिका को उस वक्त गोली मारी गई जब वह अपनी बालकनी में खड़े थे और सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे.
मोमिका पर स्टॉकहोम की अदालत गुरुवार को ही फ़ैसला सुनाने वाली थी. हालांकि, स्टॉकहोम ज़िला अदालत ने कहा है कि एक अभियुक्त की मौत की पुष्टि होने के बाद अब ये सुनवाई टाल दी गई है.
स्टॉकहोम के एसवीटी न्यूज़ ने एक रिपोर्ट में बताया है कि प्रधानमंत्री उल्फ़ क्रिसटेरसन ने कहा है कि स्वीडन की सिक्योरिटी सर्विसेज़ जाँच में शामिल हैं क्योंकि “इसमें एक आशंका विदेशी लिंक होने की भी है.”
एसवीटी के मुताबिक़ अभी तक ये पता नहीं चला है कि हमले के पीछे मक़सद क्या था.
कैसे चर्चा में आए सलवान मोमिका
सलवान मोमिका ने साल 2023 में स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के सामने दो स्वीडिश झंडे लहराए फिर उसका राष्ट्रीय गान गाया. फिर उन्होंने कुरान को जला दिया.
हालांकि, उनके विरोध प्रदर्शन के इस तरीके से स्वीडन की सीमा के बाहर ज़्यादा असर देखने को मिला. उस समय दुनियाभर के देशों ने इसकी आलोचना की थी. ख़ासतौर पर सऊदी अरब समेत अन्य इस्लामी देशों ने भारी नाराज़गी ज़ाहिर की थी.
मुसलमान क़ुरान को अल्लाह के अल्फ़ाज़ के रूप में देखते हैं और क़ुरान के साथ इरादतन छेड़छाड़ या अनादर को घोर अपराध की तरह देखते हैं.
इस्लामी देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने कहा था कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून लागू करने और मिलजुल कर क़दम उठाने की जरूरत है. स्वीडन ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये इस्लामोफ़ोबिया है.
मुस्लिम देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन में इसके ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया.
क़ुरान जलाने के मामले सामने आने के बाद कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए. इराक़ की राजधानी बगदाद में स्वीडन के दूतावास पर भी हमला हुआ. क़ुरान जलाए जाने की घटना के ख़िलाफ़ इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में भी रैलियां की गईं.
मुस्लिम देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन में इसके ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने नफ़रत और धर्मांधता के ख़िलाफ़ प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी.
भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने के ख़िलाफ़ लाए गए निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया था.
सलवान मोमिका कौन थे?
38 साल के सलवान मोमिका इराक़ी ईसाई शरणार्थी थे. वह अप्रैल 2018 में स्वीडन आए थे और अप्रैल 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिला था.
मोमिका खुद को नास्तिक और लेखक बताते थे. मोमिका ने 28 जून 2023 को स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने ईद-उल-अज़हा के दिन कुरान जलाया था.
मोमिका ने कई इस्लाम-विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. मोमिका के कुरान जलाने के बाद विवाद इतना बढ़ा था कि बग़दाद से स्वीडन के राजदूत को निलंबित कर दिया गया था.
स्वीडन की पुलिस ने मोमिका को विरोध प्रदर्शन की मंज़ूरी दी थी, जिसमें उन्होंने कुरान को जलाया था. हालांकि, उनका ये कृत्य स्वीडन के फ्री-स्पीच क़ानूनों का उल्लंघन नहीं करता था.
एसवीटी की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल जुलाई में सलवान मोमिका के घर के परमिट को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था. उस समय स्वीडन के माइग्रेशन बोर्ड ने कहा था कि अगर मोमिका को वापस उनके देश इराक़ भेजा जाता है तो वहां उन्हें ख़तरा हो सकता है.
एसवीटी की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि सलवान मोमिका बीते साल मार्च में नॉर्वे चले गए थे. उन्होंने स्वीडन की मीडिया से ये कहा था कि वो अब नॉर्वे में शरण लेंगे.
हालांकि, नॉर्वे ने सलवान को वापस स्वीडन प्रत्यर्पित कर दिया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित