सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार के 2014 में हुई फारेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स कांस्टेबल भर्ती सूची को निरस्त करने के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं थीं जिसमें आरक्षण नीति का उल्लंघन और जिला स्तर पर असमानता शामिल थी। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट भर्ती नियम बनाने का निर्देश दिया।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सरकारी नौकरियों में भर्ती में नियम कानून पर आधारित पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए जाने पर जोर देते हुए फिर दोहराया है कि चयन सूची में शामिल होने से उम्मीदवार नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता। लेकिन भर्ती करने वाली अथारिटी चयन सूची में शामिल व्यक्ति को नियुक्ति न देने के लिए मनमाने ढंग से इनकार या अनदेखी भी नहीं कर सकती।
कोर्ट ने कहा कि अगर रिक्ति है और उसकी मेरिट को देखते हुए उसे पद पर नियुक्ति दी जा सकती है तो ऐसे में साधारणत: उसकी अनदेखी करने का कोई न्यायोचित आधार नहीं होता। चयन सूची में शामिल व्यक्ति को नियुक्ति से इन्कार करने का कोई न्यायोचित आधार होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने पूर्व फैसलों को उद्धत करते हुए यह बात असम में 2014 की फारेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स (एफपीएफ) कांस्टेबल भर्ती निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराने वाले फैसले में कही है।
‘पक्षपात की मौजूदगी का अनुमान लगाना उचित’
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सात मार्च को दिये फैसले में असम सरकार के भर्ती चयन सूची रद करने के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि जब चयन पूरी तरह से साक्षात्कार के अंकों पर आधारित हो तो मनमानी और पक्षपात की मौजूदगी का अनुमान लगाना उचित हो सकता है। असम की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2014 में फारेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स (एफपीएफ) कांस्टेबल भर्ती निकाली और 104 उम्मीदवारों का चयन करके चयन सूची तैयार की गई। लेकिन 2016 में असम में आयी भाजपा सरकार ने भर्ती में गंभीर अनियमितताओं का मुद्दा उठाए जाने पर भर्ती चयन सूची रद कर दी।
आरक्षण नीति का पालन न करना और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को न मानने को इसे रद करने का आधार बनाया। लेकिन हाईकोर्ट की एकल पीठ और खंडपीठ ने असम सरकार के चयन सूची रद करने के निर्णय को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसले में चयन सूची रद करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों को देखते हुए चयन सूची रद करना न तो मनमाना था और न ही असंगत। इसमें जिला स्तर प्रतिनिधित्व में असमानता और आरक्षण नीति का उल्लंघन शामिल है।शीर्ष अदालत ने कहा कि भर्ती बिना किसी लिखित परीक्षा के सिर्फ साक्षात्कार पर आधारित थी और किसी भी नियम द्वारा शासित नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए जब देश के कुछ जिम्मेदार नागरिकों द्वारा भ्रष्टाचार को जीवन का हिस्सा माना जाता है, ये जरूरी होता है कि 104 कांस्टेबलों की भर्ती की प्रक्रिया भर्ती नियमों को तैयार करने के बाद की जाती और प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाए रखने के लिए लिखित परीक्षा भी निर्धारित की जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को नये सिरे से 104 कांस्टेबलों की भर्ती की छूट देते हुए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट भर्ती नियम बनाने का निर्देश दिया है और कहा है कि नियम नहीं बनते तक चयन प्रक्रिया सार्वजनिक रूप से उपलब्ध प्रशासनिक निर्देशों के आधार पर संचालित की जानी चाहिए।यह भी पढ़ें: वोटर लिस्ट मामले में राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, नया प्रस्ताव दिया; नियम 176 पर चर्चा कराने की मांग
देश-दुनिया की हर ताज़ा खबर और सटीक जानकारी, हर पल आपके मोबाइल पर! अभी डाउनलोड करें- जागरण ऐप