सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के मालिक को 15 दिन का नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। नोटिस पंजीकृत डाक द्वारा भेजा जाना चाहिए और संपत्ति पर भी लगाया जाना चाहिए। नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति विशिष्ट उल्लंघन और तोड़फोड़ के कारणों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की मनमानी कार्रवाई के फैसले में व्यक्ति के लिए घर के महत्व को भी उद्धत किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि घर के निर्माण में सामाजिक-आर्थिक अधिकारों से जुड़े पहलू भी होते हैं। एक औसत नागरिक के लिए अक्सर घर बनाना वर्षों की कड़ी मेहनत, सपना और अरमान होते हैं।
घर मौलिक अधिकार का हिस्सा
कोर्ट ने कहा अगर इसे छीना जाता है तो अथारिटीज को अवश्य ही इस बात के लिए संतुष्ट करना होगा यानी साबित करना होगा कि यही एकमात्र विकल्प बचा था। कोर्ट ने घर के अधिकार पर मुहर लगाते हुए आश्रय को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा बताया है और मनमाने ढंग से इससे वंचित करने को मौलिक अधिकार का हनन कहा।
कोर्ट ने फैसले की शुरुआत प्रसिद्ध कवि प्रदीप की पंक्तियों से की, ‘अपना घर हो अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे।’
तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा…
कोर्ट ने फैसले में कहा कि एक व्यक्ति के आरोपित होने पर पूरे परिवार को सामूहिक दंड नहीं दिया जा सकता। महिलाओं, बच्चों और बुर्जुगों को रातोंरात सड़क पर देखना सुखद नहीं होगा। अगर अथॉरिटीज थोड़ा समय रुक जाएंगे तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
खास कार्रवाई पर टिप्पणी
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर देशभर के राजनीतिक नेताओं की ओर से प्रतिक्रियाएं सामने आईं। मध्य प्रदेश में भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी निर्देश एक तरह का आदेश होता है। अगर किसी खास कार्रवाई पर कोई टिप्पणी की गई है तो उसके बारे में जानने के बाद ही कुछ कहना उचित होगा।
बुलडोजर अतिक्रमण पर चलाया
बिहार कांग्रेस के एआईसीसी प्रभारी मोहन प्रकाश ने भी अपनी राय रखी। यह इस सरकार की नीयत और नीति है। बुलडोजर अतिक्रमण पर चलाया जाता है, लेकिन अगर किसी का नाम एफआईआर में आता है और आप उस पर बुलडोजर चलाते हैं, तो यह सरासर दुरुपयोग है। आज सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ भी कहा है, मुझे डर है कि सरकार इसे भी स्वीकार नहीं करेगी।