आईएफएस अधिकारियों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी
सेंदरा पर्व के दौरान शिकार रोकने के लिए 10 आईएफएस अधिकारी और दो राज्यों झारखंड और बिहार के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। साथ ही 150 से अधिक वनरक्षी, जो सरायकेला, दलमा और जमशेदपुर से हैं, सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहेंगे। इस बार खास बात यह है कि ड्रोन कैमरों की मदद से भी पूरे इलाके पर नजर रखी जाएगी, ताकि किसी भी अवैध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके।
ग्रामीणों से शिकार न करने की अपील
डीएफओ सबा आलम अंसारी ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे सेंदरा पर्व को केवल धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा के रूप में मनाएं। जंगल में जाकर पूजा-पाठ करें, लेकिन किसी भी हालत में जंगली जानवरों का शिकार न करें।
जागरूकता अभियान से बढ़ रही समझ
वहीं रेंजर दिनेश चंद्रा ने बताया कि ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। दलमा के गांवों में पंपलेट और हैंडबिल बांटे जा रहे हैं, जिसमें जंगल और जंगली जानवरों के महत्व की जानकारी दी जा रही है। कई गांवों में जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा चुके हैं। इन प्रयासों के चलते शिकार की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
4 मई को पूजा, 5 मई को पर्व
बता दें, सेंदरा पर्व को लेकर आदिवासी समाज 4 मई को पूजा-पाठ करेंगे। इसके बाद 5 मई को सेंदरा वीर दलमा की ओर रवाना होंगे। इस दिन आदिवासी समाज के लोग शिकार करते हैं। हालांकि पर्व की सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रखते हुए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन शांति और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है।