भारतीय शेयर बाज़ारों में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है, कई साल के बाद गिरावट का दौर इतना लंबा चला है.
कुछ महीने पहले तक बाज़ार में निवेश पर हज़ारों, लाखों के मुनाफ़े के बात करने वाले कई एक्सपर्ट के सुर अब बदलने लगे हैं. सोशल मीडिया पर ‘करोड़पति-अरबपति बनाने का नुस्खा’ बताने वाली रील्स भी स्क्रॉल करते हुए कम सी नज़र आने लगी हैं.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स सितंबर 2024 में करीब 86 हजार के स्तर तक पहुंच गया था. अब यह 76,000 के आस-पास कारोबार कर रहा है.
सेंसेक्स में आई गिरावट के कारण सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से बाज़ार में पैसा लगाने वाले म्यूचुअल फंड निवेशक चिंतित हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस समय एसआईपी को रोक दें या फिर इससे अपना पूरा पैसा निकला लें.
क्या आ गया बाजार से बाहर निकलने का समय?
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शेयर बाज़ार में आई गिरावट के कारण निवेश का मूल्य घट गया है और कुछ निवेश घाटे में भी चले गए हैं. स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक की लगातार बिकवाली के कारण निवेशकों में घबराहट है.
इस घबराहट को कई विशेषज्ञ और बढ़ावा दे रहे हैं. हाल ही में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी शंकरन नरेन ने कहा कि इन स्टॉक से पूरी तरह बाहर निकलने का समय आ गया है.
नरेन ने कहा, “जिन निवेशकों ने 2023 से स्मालकैप और मिडकैप एसआईपी शुरू की है, उनके लिए बहुत बुरा, बहुत बुरा अनुभव होने वाला है. इनसे अब बाहर निकलने का समय आ गया है.”
नरेन ने कहा है कि 2025 साल 2008-10 से ज्यादा खतरनाक हो सकता है. 2008 में बैंकिंग शेयरों में निवेशकों का बहुत पैसा डूब गया था. पिछले दो महीनों में ही स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स करीब 18 फ़ीसदी गिर गए हैं.
वीडियो कैप्शन, म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न्स का सच क्या है, इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश, रिस्क कितना है?
म्यूचुअल फंड्स में घट गया निवेश
एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के जनवरी के आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी फंडों में निवेश पिछले महीने की तुलना में 3.6 प्रतिशत कम रहा और कुल 39,687 करोड़ रुपए का निवेश हुआ.
वहीं दिसंबर 2024 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 41,155 करोड़ रुपए का निवेश किया गया था.
जनवरी में म्यूचुअल फंड के जरिए किए गए कुल निवेश में से 26,400 करोड़ रुपए का निवेश एसआईपी के माध्यम से किया गया. जनवरी 2025 में निवेशकों ने लार्ज-कैप फंड्स में 3063 करोड़ रुपए, मिड-कैप फंड्स में 5147 करोड़ रुपए और स्मॉल-कैप फंड्स में 5720 करोड़ रुपए का निवेश किया.
एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 22.92 करोड़ पर पहुंच गई.
‘पैसा निकालने नहीं, लगाने का है समय’
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हलांकि नरेन की सलाह के उलट कई वित्तीय विशेषज्ञ गिरावट के इस मौके को निवेश का अच्छा अवसर बता रहे हैं. उनका मानना है कि यह समय पूंजी निकालने का नहीं, निवेश करने का है.
उनका कहना है कि शेयर बाजार में गिरावट का प्रभाव एसआईपी पर पड़ता है, लेकिन अस्थिरता में बेहतर नतीजों के लिए ही एसआईपी को डिजाइन किया गया है.
जयपुर स्थित वित्तीय सलाहकार सीए छवि महेश्वरी कहती हैं, “निवेशकों को इस समय बाज़ार से पैसा को निकालने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस गिरावट का लाभ उठाने की जरूरत है. इस समय निवेशकों को एसआईपी जारी रखते हुए अपने निवेश को और भी बढ़ा देना चाहिए.”
छवि महेश्वरी कहती हैं इस समय बाजार की उठा पटक कुछ महीनों तक जारी रह सकती है, लेकिन लंबे समय के लिए किया गया निवेश के बाद एक बेहतर रिटर्न दिलाएगा.
इस तरह के निवेश में बहुत जोखिम नहीं होता है लेकिन किसी प्रकार के जोखिम से बचने के लिए पोर्टफोलियों को डाइवर्सिफाइड रखने की ज़रूरत है.
वह बताती हैं, “एसआईपी लंबे समय में धन बनाने का ज़रिया है. ऐसे में निवेश को यहां लंबे समय तक बनाए रखने की ज़रूरत है. इसमें निरंतरता और अनुशासन के साथ निवेश एक बेहतर वित्तीय लक्ष्य को पाने में मदद करते हैं.”
छवि पूछती हैं, निवेश के लिए हम सोना तब खरीदते हैं जब उसकी कीमत गिरती है, हम जमीन और मकान भी तब खरीदते हैं जब वह सस्ते हो जाते हैं तो फिर बाजार गिरने पर एसआईपी को क्यों रोकें?
कुछ सलाहकार तो अत्यधिक आक्रामक हैं, अहमदाबाद स्थित वित्तीय सलाहकार मिथुन जथल कहते हैं, “निवेशकों को अगले 12 महीनों तक एसआईपी राशि का निवेश दोगुना कर देना चाहिए. एसआईपी में पहले पांच साल तक यूनिट्स जमा करने पर ध्यान देना चाहिए. इसके बाद फंड के मूल्य पर विचार करना चाहिए.”
फिर वापसी करेगा शेयर बाजार
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म्यूचुअल फंड में एसआईपी कर रहे हैं तो बाजार के बजाय न्यूनतम कीमत पर अधिक से अधिक यूनिट (एनएवी) खरीदने पर ध्यान देना चाहिए.
मिथुन जथल कहते हैं, “बाजार हर आठवें साल में गिरावट के चक्र से गुजरता है. 1992 में हर्षद मेहता घोटाले के दौरान बाजार गिरा. 2000 में वाईटीके बबल के कारण बाजार गिरा. 2008 में सब-प्राइम संकट ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया. 2016 में नोटबंदी के बाद बाजार गिरा. इसके बाद कोविड के कारण बाजार में गिरावट आई. ऐसे में यह खरीदारी का अच्छा मौका है.”
जथल कहते हैं, “भारत में करीब 18 फीसदी एसआईपी पांच साल तक चलती है. केवल तीन फीसदी एसआईपी ही 10 साल तक चल सकती है. अगर आप वाकई कमाई करना चाहते हैं, तो फिर आपको निवेश ज्यादा समय तक के लिए करना चाहिए.”
जथल कहते हैं, “अचल संपत्ति में 40 साल तक निवेश रखते हैं. सोना आमतौर पर लोग बेचते नहीं हैं. पीपीएफ में भी निवेश 15 से 20 साल तक बनाए रखते हैं. ऐसे में एसआईपी में भी लंबा समय दिया जाना चाहिए. वह कहते हैं कि जितनी लंबी अवधि का निवेश होगा, रिटर्न भी उतना बेहतर होगा.”
क्या होते हैं म्यूचुअल फंड्स
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म्यूचुअल फंड में निवेश करनी वाली कंपनियों को ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) कहते हैं.
एएमसी कई निवेशकों के फंड को मिलाकर एक साझा फंड बनाती हैं. इसमें एक जैसी ज़रूरत और रुचि रखने वाले निवेशकों के पैसे को एकसाथ रखकर अलग-अलग निवेश किया जाता है. इस फंड को एक फंड मैनेजर संभालता है. आपके बताए अनुसार वह फंड को निवेश करता है.
जैसे एक निवेशक के पास 500 रुपये हैं, दूसरे के पास पांच लाख और तीसरे के पास पांच करोड़ रुपये हैं और तीनों ही एक तरह का निवेश करना चाहते हैं. ऐसे में फंड मैनेजर इस पूरे पैसे को एक साथ अलग-अलग जगह निवेश कर देता है.
लेकिन, इससे मिलने वाला रिटर्न व्यक्तिगत तौर पर दिया जाता है. इसमें पैसों के बदले पैसा ही मिलता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.