क्या कहा ईडी ने
ईडी ने कहा, ‘‘कवासी लखमा को शराब घोटाले सहित आबकारी विभाग के पूरे मामलों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में एफएल-10ए लाइसेंस की शुरुआत हुई। छत्तीसगढ़ सरकार के एफएल-10ए लाइसेंस ने लाइसेंस धारकों को विदेशी शराब क्षेत्र में कमाई करने की अनुमति दी।”
ईडी ने कहा- लखमा शराब सिंडिकेट का एक अभिन्न अंग थे। कवासी लखमा को 2019 से 2022 के बीच हुए शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय में से कम से कम 2 करोड़ रुपये प्रति माह मिल रहे थे। एजेंसी ने दावा किया कि वह अचल संपत्तियों के निर्माण में लखमा द्वारा प्राप्त अपराध की आय के उपयोग से जुड़े साक्ष्य एकत्र करने में सफल रही। ईडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों को अपराध की 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय प्राप्त हुई।
28 दिसंबर को की थी छापेमारी
ईडी ने 28 दिसंबर को रायपुर, सुकमा और धमतरी जिलों में पूर्व मंत्री और उनके बेटे की संपत्तियों पर छापेमारी की थी। इसके बाद उसने लखमा और उनके बेटे से पूछताछ की। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लखमा को गिरफ्तार किए जाने के बाद ईडी पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाया था। बघेल ने कहा था- केंद्र सरकार में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर ईडी कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है। पूरी कांग्रेस पार्टी कवासी लखमा जी के साथ खड़ी है।