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Shardiya Navratri 2025 Day 9 Maa Siddhidatri Puja Vidhi Mantra Katha In Hindi – Amar Ujala Hindi News Live

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Oct 1, 2025


नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। देवी का यह रूप समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां मां सिद्धिदात्री से ही प्राप्त होती हैं।

मां सिद्धिदात्री का पौराणिक महत्व

देवी पुराण में वर्णन है कि भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से आठों सिद्धियां प्राप्त की थीं। माता की अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ और वे अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए। नवरात्रि के इस दिन श्रद्धा और शास्त्रीय विधि से की गई साधना साधक को अलौकिक सिद्धियों का वरदान देती है।

मां का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री सिंह पर सवार और कमलासन पर विराजमान मानी जाती हैं। चार भुजाओं में इनके हाथों में क्रमशः चक्र, गदा, शंख और कमल पुष्प सुशोभित रहते हैं। श्वेत वस्त्र धारण किए देवी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांति प्रदान करने वाला है। इन्हें देवी सरस्वती का रूप भी माना गया है, जो मधुर वाणी और ज्ञान से अपने भक्तों को मोहित करती हैं।

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पूजा से प्राप्त होने वाले फल

माता सिद्धिदात्री की आराधना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्तों को यश, बल, कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है। मां का ध्यान और पूजन हमें संसार की नश्वरता का बोध कराते हुए परम शांति और अमृत पद की ओर ले जाता है।

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पूजा की विधि


  • सर्वप्रथम कलश पूजन कर उसमें प्रतिष्ठित देवी-देवताओं का ध्यान करें।

  • माता को रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी अर्पित करें।

  • हलुआ, पूरी, खीर, चने और नारियल का भोग लगाएं।

  • माता के मंत्रों का जप करें

  • इस दिन कन्या पूजन विशेष फलदायी माना जाता है। 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की आयु की नौ कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराना चाहिए।

मंत्र और साधना का महत्व

नवदुर्गाओं में अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तिपूर्वक जाप जाने वाला यह मंत्र अत्यंत फलदायी है।

“सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,


सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।”




 

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