गैराज से शुरुआत
शिव नाडर का जन्म 14 जुलाई, 1945 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता जिला जज थे और अपनी नौकरी के कारण पूरे दक्षिण भारत में घूमते रहते थे। इसलिए नादर का बचपन भी अलग-अलग जगहों पर बीता। कोयंबटूर के पीएसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर की डिग्री लेने के बाद उन्होंने 1967 में पुणे के वालचंद ग्रुप के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से करियर की शुरुआत की। इसके बाद वह दिल्ली के डीसीएम ग्रुप के साथ एक कंप्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर नौकरी की। लेकिन नौकरी में मन नहीं रमा और 1976 में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एचसीएल की स्थापना की।
हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड यानी एचसीएल की शुरुआत एक गैराज से हुई। नाडर की लीडरशिप में कंपनी ने दिन दोगुना चार चौगुनी प्रोग्रेस की और जल्दी ही एक ग्लोबल आईटी सर्विसेज कंपनी बन गई। आज एचसीएल की 60 से भी ज्यादा देशों में मौजूदगी है और इसमें 2,22,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। जुलाई 2020, में नाडर ने कंपनी के चेयरमैन का पद छोड़ दिया और इसकी कमान अपनी बेटी रोशनी नाडर मल्होत्रा के हाथों में सौंप दी। वह कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस और स्ट्रैटजिक एडवाइजर हैं।
दिल्ली के सबसे बड़े रईस
शिव नादर ने 1994 में शिव नादर फाउंडेशन की शुरुआत की। इस फाउंडेशन के जरिए उन्होंने स्कूल और विश्वविद्यालय स्थापित किए। विद्याज्ञान स्कूल इसी फाउंडेशन द्वारा चलाए जाते हैं। ये स्कूल ग्रामीण इलाकों से प्रतिभाशाली छात्रों का चयन करते हैं और उन्हें मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं। HCL Technologies और HCL Infosystems की होल्डिंग कंपनी HCL Corp. ने 2010 में HCL Technologies में अपनी 2.5% हिस्सेदारी बेचकर लगभग 125 मिलियन डॉलर जुटाए। नादर ने यह पैसा अपने फाउंडेशन को दान कर दिया। वह दिल्ली के सबसे बड़े रईस हैं।