41 साल बाद ISS से भारत के लिए गुड न्यूज
शुभांशु शुक्ला के साथ ही अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एक-एक यात्री भी एक्सिऑम स्पेस मिशन-4 में आईएसएस पहुंचे हैं। शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में पहुंची ये टीम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कई प्रयोग करेंगे। ये परीक्षण गगनयान मिशन समेत इसरो की आगामी योजनाओं को सफल बनाने में मदद करेंगे। वैज्ञानिक यह भी देखेंगे कि अंतरिक्ष का वातावरण पौधों और सूक्ष्म जीवों पर कैसे असर डालता है।
अंतरिक्ष में भारत के लिए होंगे ये 7 खास परीक्षण
शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में पहुंची टीम स्पेस में भारत के लिए 7 खास प्रयोग करेंगे। ये परीक्षण बताएंगे कि अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण का क्या असर होता है।
* पहला प्रयोग यह देखेगा कि अंतरिक्ष में मौजूद माइक्रोग्रेविटी रेडिएशन से खाने योग्य माइक्रोएल्गी पर क्या असर होता है। यह परीक्षण इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च मिलकर करेंगे। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) इसमें मदद करेगा।
* दूसरा प्रयोग सलाद के बीजों को अंतरिक्ष में उगाने से जुड़ा है। इससे पता चलेगा कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पोषण कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, धारवाड़ और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, धारवाड़ इस पर काम करेंगे।
* तीसरा परीक्षण यूटार्डिग्रेड पैरामेक्रोबायोटस एसपी. बीएलआर स्ट्रेन पर होगा। वैज्ञानिक यह देखेंगे कि यह जीव अंतरिक्ष में कैसे जीवित रहता है, प्रजनन करता है और इसके RNA में क्या बदलाव आते हैं। यह काम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) करेगा।
* चौथा प्रयोग मांसपेशियों के असर पर केंद्रित है। इसमें देखा जाएगा कि कम गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों को ठीक रखने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेम सेल साइंस एंड रीजनरेटिव मेडिसिन (InStem), DBT इस पर रिसर्च करेगा।
* पांचवां प्रयोग यह देखेगा कि अंतरिक्ष में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ इंसान कैसे इंटरैक्ट करते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) के वैज्ञानिक इस पर काम करेंगे। Analysing Human Interaction with Electronic Displays in Microgravity का मतलब है, ‘कम गुरुत्वाकर्षण में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ मानव संपर्क का विश्लेषण करना।’
* छठा प्रयोग साइनोबैक्टीरिया पर है। इस परीक्षण में साइंटिस्ट देखेंगे कि यूरिया और नाइट्रेट की मदद से साइनोबैक्टीरिया अंतरिक्ष में कैसे बढ़ते हैं। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी, DBT इस प्रयोग को करेंगे।
* सातवां परीक्षण खाद्य फसलों के बीजों पर होगा। इसमें देखा जाएगा कि कम गुरुत्वाकर्षण में बीजों की बढ़ोतरी और उपज पर क्या असर होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस और कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, वेल्लनियानी, केरल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी मिलकर यह प्रयोग करेंगे।
इसलिए महत्वपूर्ण है ये मिशन
ये सभी प्रयोग गगनयान मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनसे मिली जानकारी से भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर पाएगा। वापस आने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने अनुभव को अन्य गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों के साथ शेयर करेंगे। गगनयान के लिए अंतिम क्रू का चयन होना बाकी है।
गगनयान मिशन को मिलेगा फायदा
अनुभव के मुताबिक शुभांशु शुक्ला को इस रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि शुभांशु शुक्ला के प्रयोग लंबी अवधि के मिशन को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। स्पेस के लिए इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी के लिए डिजाइन किए गए स्वदेशी विकसित बायोटेक किट का उपयोग किया जाएगा। यह प्रयास भारत में एक अंतरिक्ष जीव विज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र में अहम रोल निभाएगा।