केंद्र सरकार ने नए साल की पूर्व संध्या पर मध्यम वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों को निवेश के मोर्चे पर यथास्थिति का संदेश दिया है। वित्त मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) जैसी लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं (स्मॉल सेविंग स्कीम्स) की ब्याज दरों में आगामी जनवरी-मार्च 2026 तिमाही के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है।
लगातार सातवीं तिमाही में छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और सरकार ने इन दरों को स्थिर रखा है। गौर करने वाली बात यह है कि आखिरी बार ब्याज दरों में संशोधन वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में किया गया था।
सरकार के इस फैसले के बाद वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही में निवेशकों को मिलने वाला रिटर्न इस प्रकार रहेगा-
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
बेटियों के भविष्य के लिए सबसे लोकप्रिय इस योजना पर 8.2 प्रतिशत की उच्चतम ब्याज दर बरकरार रखी गई है।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
पांच साल की इस योजना पर निवेशकों को 7.7 प्रतिशत का लाभ मिलता रहेगा।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
लंबी अवधि के निवेश के लिए पसंदीदा पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 प्रतिशत पर स्थिर है।
किसान विकास पत्र (KVP)
इस पर 7.5 प्रतिशत ब्याज देय होगा और निवेश 115 महीनों में परिपक्व (Mature) होगा।
मासिक आय योजना (MIS)
नियमित आय चाहने वाले निवेशकों को 7.4 प्रतिशत की दर से रिटर्न मिलता रहेगा।
सावधि जमा (Term Deposits)
तीन साल की सावधि जमा पर दर 7.1 प्रतिशत रहेगी, जबकि साधारण बचत जमा पर 4 प्रतिशत का ब्याज मिलता रहेगा।
सरकार वर्तमान सरकारी बॉन्ड यील्ड और जमा दरों के बीच चाहती है एक संतुलन
ब्याज दरों को स्थिर रखने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बाजार की निगाहें रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर टिकी हैं। छोटी बचत योजनाओं की दरों को सात तिमाहियों तक बिना बदलाव के रखना यह बताता है कि सरकार वर्तमान सरकारी बॉन्ड यील्ड और जमा दरों के बीच एक संतुलन बनाए रखना चाहती है।
आमतौर पर, छोटी बचत योजनाओं की दरें पिछले तीन महीनों के सरकारी प्रतिभूतियों के बेंचमार्क यील्ड से जुड़ी होती हैं। दरों में वृद्धि न करना यह संकेत देता है कि फिलहाल बॉन्ड मार्केट में बड़ी उथल-पुथल की संभावना नहीं देखी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जो निवेशक सुरक्षित रिटर्न की तलाश में हैं, उनके लिए ये दरें अभी भी बैंकों की सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट दरों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बनी हुई हैं। विशेष रूप से सुकन्या समृद्धि और एनएससी जैसी योजनाएं कर लाभ के साथ आकर्षक रिटर्न प्रदान करती हैं। हालांकि, मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए पीपीएफ निवेशकों की एक बड़ी जमात लंबे समय से दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही थी, जिन्हें एक बार फिर निराशा हाथ लगी है।
नए साल की शुरुआत के साथ ही इन दरों का प्रभावी होना सुरक्षित निवेश की ओर झुकाव रखने वाले करोड़ों भारतीयों के वित्तीय नियोजन को प्रभावित करेगा। अब निवेशकों की नजरें अगले वित्त वर्ष (2026-27) की पहली तिमाही पर टिकी होंगी, जब आर्थिक परिस्थितियों और बजट के बाद के परिदृश्य के आधार पर दरों की समीक्षा की जाएगी।