• Tue. Sep 2nd, 2025

24×7 Live News

Apdin News

Supreme Court News Updates Objectionable Cartoons On Pm Rss Anticipatory Bail To Cartoonist Hemant Malviya – Amar Ujala Hindi News Live

Byadmin

Sep 2, 2025


प्रधानमंत्री और संघ कार्यकर्ताओं के आपत्तिजनक कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत दे दी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने यह देखते हुए कि कार्टूनिस्ट ने सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों से माफी मांगी ली है, अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली। हालांकि  सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को यह छूट दी कि अगर कार्टूनिस्ट जांच में सहयोग नहीं करते हैं, तो वे उनकी जमानत रद्द करने की मांग कर सकते हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने दिया ये तर्क

सुनवाई के दौरान, मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने माफी मांग ली है और याचिकाकर्ता को अभी तक जांच के दौरान पूछताछ के लिए तलब नहीं किया गया है। इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने जवाब दिया कि सभी सबूत इकट्ठा होने के बाद ही तलब किया जाएगा।

मई में इंदौर में हुई थी शिकायत

कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के खिलाफ वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी ने मई में इंदौर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और मालवीय पर अपने कार्टूनों के जरिए आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने और हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया था। 15 जुलाई को, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मालवीय के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और मंगलवार को अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया। इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 

ये भी पढ़ें- BJP vs CONG: ‘वोट चोरी’ विवाद पर अमित मालवीय ने राहुल गांधी को घेरा, दावा- पवन खेड़ा के दो EPIC; जानिए मामला

मालवीय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 3 जुलाई को दिए गए आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी भी यौन रूप से स्पष्ट सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है।

By admin