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Supreme Court’s Verdict On Minority Status Of Amu, Know Everything About It – Amar Ujala Hindi News Live

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Nov 8, 2024


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शुक्ला

Updated Fri, 08 Nov 2024 12:51 AM IST

संविधान पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2006 के फैसले से उत्पन्न एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।


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Supreme Court's verdict on minority status of AMU, know everything about it

एएमयू के अल्पसंख्यक मोर्चे पर ‘सुप्रीम’ फैसला।
– फोटो : संवाद



विस्तार


सुप्रीम कोर्ट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर शुक्रवार को फैसला सुनायेगा। शीर्ष अदालत इस कानूनी सवाल पर विचार कर रही है कि क्या एएमयू को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार देता है।

हाईकोर्ट से मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

संविधान पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2006 के फैसले से उत्पन्न एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने वर्ष 2019 में इस मामले को सात जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

1 फरवरी को, एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के जटिल मुद्दे से जूझते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एएमयू अधिनियम में 1981 का संशोधन, जिसने प्रभावी रूप से इसे अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान किया, केवल ‘आधे-अधूरे मन से किया गया काम’ है। इसने संस्थान को 1951 से पहले वाली स्थिति बहाल नहीं की। जबकि एएमयू अधिनियम, 1920 अलीगढ़ में एक शिक्षण और आवासीय मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित करने की बात करता है, वहीं 1951 का संशोधन विश्वविद्यालय में मुस्लिम छात्रों के लिए अनिवार्य धार्मिक शिक्षा को समाप्त कर देता है।

ऐसे हुई थी एएमयू की स्थापना

सर सैयद अहमद ने वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा देने के लिए वर्ष 1875 में मदरसातुल उलूम की स्थापना के बाद आठ जनवरी 1877 को मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज की स्थापना की थी। सर सैयद के निधन के बाद उनके समर्थकों ने 1920 में ब्रिटिश सरकार की मांग को पूरा करते हुए 30 लाख रुपये का भुगतान किया। इसके बाद 1920 के संसदीय अधिनियम के तहत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाया था।

59 साल से एएमयू लड़ रहा अल्पसंख्यक दर्जे की लड़ाई

1965 में एएमयू का अल्पसंख्यक स्वरूप खत्म कर दिया गया था। 1967 में यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। तब से विवि अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है। शुक्रवार को फैसला आते ही 59 साल का विवाद भी थम जाएगा।

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