तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है। तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी और पोनमुडी ने शनिवार को एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि सेंथिल बालाजी को नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के कारण और पोनमुडी को उनके विवादास्पद भाषण के कारण मंत्रिमंडल से हटाया गया है।
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वहीं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विद्युत, मद्य निषेध एवं आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी व वन एवं खादी मंत्री डॉ. के. पोनमुडी के इस्तीफे के बाद राज्य मंत्रिमंडल में बड़े बदलावों की सिफारिश की है और राज्यपाल ने इसे मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल में हुआ बदलाव
सीएम स्टालिन की कैबिनेट से जहां मंत्री सेंथिल बालाजी और पोनमुडी ने इस्तीफा दिया है। वहीं दूसरी ओर मनो थंगराज को कैबिनेट में शामिल किया गया है। इसके अलावा पार्टी ने मंत्रालयों में भी बदलाव किया है। परिवहन मंत्री शिवशंकर को बिजली विभाग आवंटित किया गया है। आवास मंत्री मुथुसामी को आबकारी विभाग का अतरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इसी तरह मंत्री आर.एस. राजकन्नप्पन को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर वन विभाग की जिम्मेदारी मिली है।
बालाजी पर याचिकाकर्ता ने लगाए थे आरोप
हाल ही इस मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जमानत आदेश को वापस लेने की मांग की थी। इस पर बालाजी ने एक हलफनामे के जरिए अर्जी लगाने वाले की ईमानदारी पर सवाल उठाया था। बालाजी ने आरोप लगाया कि याचिका राजनीति से प्रेरित है। यह विपक्ष की चाल हो सकती है। ऐसे उनसे बदला लेने के लिए किया गया है।
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14 जून, 2023 को गिफ्तार किया गया
करूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बालाजी को 14 जून, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। मामला तब का है, जब वह 2011 और 2015 के बीच पिछली अन्ना द्रमुक सरकार के दौरान परिवहन मंत्री थे। पिछले साल 13 फरवरी को तमिलनाडु के राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद से बालाजी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।
ईडी ने जुलाई 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया
ईडी ने 2018 में तमिलनाडु पुलिस की ओर से तीन प्राथमिकी दर्ज किए जाने और कथित घोटाले में पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर आरोपों की जांच के लिए जुलाई 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इसके आरोपपत्र में दावा किया गया कि मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में पूरी भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्ट कर दिया गया था।