
क्यों गिरा टीसीएस का शेयर
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि IT सेक्टर में पिछले एक साल से कमजोरी दिख रही है। लोगों को आशंका है कि महंगाई बढ़ रही है और अमेरिका की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। इस वजह से अमेरिकी कंपनियां IT पर कम खर्च कर रही हैं। इसी तरह टाटा मोटर्स के शेयर की कीमत में FY25 में 31% की गिरावट आई है। इससे कंपनी की मार्केट कैप में 79,027 करोड़ रुपये की कमी आई है। भारत की सबसे बड़ी EV कार निर्माता कंपनी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
टाइटन की बात करें तो 9 महीने में कंपनी का रेवेन्यू 22% बढ़ा है लेकिन मुनाफा 9.5% घट गया है। शेयरों में गिरावट के कारण कंपनी के मार्केट कैप में 64,755 करोड़ रुपये की कमी आई है। टाटा केमिकल्स, ऑटोमोटिव स्टैम्पिंग्स, टीआरएफ, रैलिस इंडिया और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों की कमाई भी अच्छी नहीं रही। इसलिए इनके शेयरों की कीमतें गिर गईं। लेकिन कुछ शेयर ऐसे भी हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है।

आगे कैसी रहेगी चाल
टाटा स्टील, नेल्को, बनारस होटल्स, ओरिएंटल होटल्स, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन, तेजस नेटवर्क्स, द इंडियन होटल्स कंपनी (IHCL), ट्रेंट और वोल्टास के शेयरों में तेजी आई है। टाटा ग्रुप की एफएमसीजी कंपनी ट्रेंट के शेयर की कीमत में 32% की वृद्धि हुई है। इससे कंपनी के मार्केट कैप में 45,483 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह द इंडियन होटल्स कंपनी (IHCL) के शेयर में 37% की तेजी आई है। इससे कंपनी का मार्केट कैप 31,330 करोड़ रुपये बढ़ा है जबकि वोल्टास के मार्केट कैप में 12,934 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
वेल्थ मिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर (इक्विटी स्ट्रैटेजी) क्रांति बाथिनी का कहना है कि टाटा ग्रुप की कंपनियों में ग्रोथ पहले से ही शामिल है। इसलिए FY25 में इन शेयरों की कीमतें गिर गईं। टाटा के नाम की वजह से इन शेयरों की कीमतें ज्यादा थीं। उनका मानना है कि FY26 में इन कंपनियों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि नोएल टाटा के नेतृत्व में नया बोर्ड कैसा काम करता है। ब्रोकरेज कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने TCS पर ‘बाय’ की सिफारिश की है।
(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, एनबीटी के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें। क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)