इंजीनियरिंग की पढ़ाई का ट्रेंड तेजी से बदल रहा है। कई कोर विषयों की जगह नए विषयों ने ले ली है। इसका नकारात्मक प्रभाव उन विषयों के फैकल्टी पर देखने को मिल रहा है जिन्हें नौकरी पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और ऐसे में प्रोफेसरों को डिलीवरी एजेंट का काम करना पड़ रहा है और यहां तक कि सड़क किनारे ठेला भी लगाना पड़ रहा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना में इंजीनियरिंग कोर्स की सीटें बड़ी तेजी से कम हो रही हैं। इस वजह से कई इंजीनियरिंग फैकल्टीज को डिलीवरी एजेंट की नौकरी करनी पड़ी। यहां तक कि कुछ प्रोफेसरों ने सड़क किनारे स्टॉल लगाने का भी काम शुरू किया।
टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना में साल 2020 से कोर इंजीनियरिंग की सीटें 70 फीसदी तक कम हो गई है। इसका एक नकारात्मक प्रभाव यह भी देखने को मिला कि फैकल्टी की सैलरी भी काफी कम हुई है। उन्होंने अन्य शैक्षणिक पद खोजने का भी प्रयास किया, लेकिन कई लोग इसमें सफल नहीं हो पाए। ऐसे लोगों की सरकार से मदद करने का भी आग्रह किया गया है।
छंटनी एवं सैलरी में कटौती
रिपोर्ट के अनुसार सीटें कम होने की वजह से कई लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई हैं। वहीं अनुभव प्रोफसरों की छंटनी एवं सैलरी में कटौती हुई है। ऐसे में कुछ लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए डिलीवरी एजेंट या फिर स्ट्रीट वेंडर के तौर पर काम किया। रिपोर्ट की मानें तो फिलहाल तेलंगाना राज्य में इंजीनिरिंग की 86,943 सीटें हैं। इनमें से कंप्यूटर साइंस और उससे जुड़ी हुई 61,587 सीटें हैं।
वहीं, सिविल एवं मैकेनिकल जैसी कोर इंजीनियरिंग ब्रांच की केवल 7,458 सीटें ही रह गई हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच की 4,751 सीटें हैं। इनमें से भी तकरीबन 25 फीसदी सीटें रिक्त रह जाती हैं। इंजीनियरिंग में अब पारंपरिक विषयों से हटकर एआई, डेटा साइंस और साइबर सुरक्षा जैसे विषय पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
75 फीसदी तक घटीं कोर सीटें
इस बदलाव से राज्य के 175 कॉलेजों में से कई संस्थानों ने कोर इंजीनियरिंग सीटें 50 फीसदी से 75 फीसदी तक घटा दी हैं। बदलते ट्रेंड का विपरीत प्रभाव वहां की फैकल्टीज पर पड़ा है, जिन्हें अपनी सैलरी में कटौती का सामना करना पड़ा। एक पूर्व प्रोफेसर ने रिपोर्ट में बताया कि जब उन्हें अपने पहले के वेतन पर 50 फीसदी कटौती करने के लिए कहा गया तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
अब वह डिलीवरी बॉय के तौर पर काम कर रहे हैं और उनकी कमाई प्रतिदिन की लगभग 600 रुपये है। रिपोर्ट के अनुसार पहले वह 40,000 से 1.5 लाख रुपये प्रति माह कमाते थे, ऐसे में उनकी आय में भारी कमी आई है और उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए भी आय के वैकल्पिक स्रोत तलाशने पड़ रहे हैं।