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Trans-shipment Facility India Bangladesh Impact,भारत की जवाबी कार्रवाई से बांग्लादेश की सबसे बड़ी इंडस्ट्री का बुरा हाल, कारोबारी परेशान, दिल्ली कैसे सिखा रही मोहम्मद यूनुस को सबक? – what steps delhi taken to teach bangladesh lesson withdrawal of trans-shipment facility yunus anti-india stance

Byadmin

Apr 13, 2025


ढाका: मोहम्मद यूनुस के बड़बोलेपन ने भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध काफी खराब कर दिए हैं। बांग्लादेश की तरफ से पिछले साल अगस्त के बाद से भारत के खिलाफ काफी कुछ कहे गये हैं, भारत के खिलाफ कई फैसले लिए गये हैं और अब बारी भारत की है। भारत के एक फैसले से बांग्लादेश की सबसे बड़ी इंडस्ट्री टूट सकती है और हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं। भारत ने पिछले हफ्ते पहली बार सख्त फैसला लेते हुए बांग्लादेश को दी गई ट्रांस-शिपमेंट सुविधा वापस ले ली है। ट्रांस-शिपमेंट सुविधा के जरिए बांग्लादेश, भारत के रास्ते मिडिल ईस्ट, यूरोप, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ कारोबार करता था। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने तर्क दिया है कि ये फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि इससे भारतीय बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स पर ऑपरेशन दिक्कतें आ रही थीं।बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के ट्रांस-शिपमेंट सुविधा वापस लिए जाने का देश पर असर पड़ना शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री है। गारमेंट इंडस्ट्री बांग्लादेश की सबसे महत्वपूर्ण इंडस्ट्री और लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं। PCASWA के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि “मुख्य रूप से तैयार ब्रांडेड रेडीमेड परिधान दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों से यूरोप और अमेरिका भेजे जाते थे। बांग्लादेश के कारोबारी पश्चिमी देशों को तेज डिलीवरी देने के लिए काफी ज्यादा मूल्य वाले भारतीय सुविधाओं का इस्तेमाल करते थे। इसके लिए उन्हें एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होता था।” उन्होंने कहा कि “अगर आप पारंपरिक रास्तों से सामान की डिलीवरी करें तो इसमें काफी वक्त लगता है। काफी ज्यादा भीड़भाड़ की वजह से डिलीवरी में लगने वाला वक्त काफी ज्यादा हो जाता है।”

भारत के फैसले से बांग्लादेश परेशान
आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पेट्रापोल लैंड पोर्ट पर वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के बीच भारत के रास्ते निर्यात के लिए बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट कार्गो में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि नई दिल्ली का ये कदम, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के बढ़ते “भारत विरोधी रुख” के खिलाफ एक प्रतिशोध है। हाल ही में चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत को एक “भूमि से घिरा हुआ” क्षेत्र बताया था और कहा था कि वो पूरा क्षेत्र समुद्री पहुंच के लिए बांग्लादेश पर निर्भर है। उन्होंने बांग्लादेश के ‘गार्जियन ऑफ सी’ बताया था और चीन को भारत के चिकेन्स नेक के पास कारोबार का विस्तार करने का ऑफर दिया था।

जिसके बाद भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीखा जवाब देते हुए बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि “भारत की 6,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और बंगाल की खाड़ी में सबसे बड़ी है।” जयशंकर ने एक बयान में कहा, “भारत न सिर्फ पांच बिम्सटेक सदस्यों के साथ सीमा साझा करता है, बल्कि उनमें से अधिकांश को जोड़ता है, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप और आसियान के बीच भी काफी हद तक संपर्क प्रदान करता है। हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से बिम्सटेक के लिए संपर्क केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां सड़कों, रेलवे, जलमार्गों, ग्रिडों और पाइपलाइनों का असंख्य नेटवर्क है।”

बांग्लादेश के FDI का टॉप सोर्स है भारत
भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के डेवलपमेंट पोर्टफोलियो के साथ सबसे प्रमुख विकास साझेदार है। ढाका अपने विकास और आजीविका के लिए काफी हद तक विदेशी फंड पर निर्भर है। लेकिन बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ने के बाद दिल्ली ने सीमा को काफी सख्त कर दिया है, कई सीमाएं बंद हो गई हैं, लिहाजा दोनों देशों के बीच होने वाले आसान कारोबार में मुश्किलें आ चुकी हैं। जिससे व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है।” इसके अलावा, दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के मकसद शुरू किए गये कई परियोजनाओं को भी रोक दिया गया है। दोनों देशों के बीच पिछले जून से सार्वजनिक परिवहन भी बंद है। इससे न सिर्फ सीमा पार माल भेजने वाले व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि भारत में इलाज कराने आए बांग्लादेशियों के लिए भी चुनौतियां पैदा हुई हैं।

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