भारत के फैसले से बांग्लादेश परेशान
आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में पेट्रापोल लैंड पोर्ट पर वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के बीच भारत के रास्ते निर्यात के लिए बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट कार्गो में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि नई दिल्ली का ये कदम, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के बढ़ते “भारत विरोधी रुख” के खिलाफ एक प्रतिशोध है। हाल ही में चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत को एक “भूमि से घिरा हुआ” क्षेत्र बताया था और कहा था कि वो पूरा क्षेत्र समुद्री पहुंच के लिए बांग्लादेश पर निर्भर है। उन्होंने बांग्लादेश के ‘गार्जियन ऑफ सी’ बताया था और चीन को भारत के चिकेन्स नेक के पास कारोबार का विस्तार करने का ऑफर दिया था।
जिसके बाद भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीखा जवाब देते हुए बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि “भारत की 6,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और बंगाल की खाड़ी में सबसे बड़ी है।” जयशंकर ने एक बयान में कहा, “भारत न सिर्फ पांच बिम्सटेक सदस्यों के साथ सीमा साझा करता है, बल्कि उनमें से अधिकांश को जोड़ता है, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप और आसियान के बीच भी काफी हद तक संपर्क प्रदान करता है। हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से बिम्सटेक के लिए संपर्क केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां सड़कों, रेलवे, जलमार्गों, ग्रिडों और पाइपलाइनों का असंख्य नेटवर्क है।”
बांग्लादेश के FDI का टॉप सोर्स है भारत
भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के डेवलपमेंट पोर्टफोलियो के साथ सबसे प्रमुख विकास साझेदार है। ढाका अपने विकास और आजीविका के लिए काफी हद तक विदेशी फंड पर निर्भर है। लेकिन बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ने के बाद दिल्ली ने सीमा को काफी सख्त कर दिया है, कई सीमाएं बंद हो गई हैं, लिहाजा दोनों देशों के बीच होने वाले आसान कारोबार में मुश्किलें आ चुकी हैं। जिससे व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है।” इसके अलावा, दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के मकसद शुरू किए गये कई परियोजनाओं को भी रोक दिया गया है। दोनों देशों के बीच पिछले जून से सार्वजनिक परिवहन भी बंद है। इससे न सिर्फ सीमा पार माल भेजने वाले व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि भारत में इलाज कराने आए बांग्लादेशियों के लिए भी चुनौतियां पैदा हुई हैं।