वीरांगना रानी चेन्नम्मा की ऐतिहासिक किट्टूर युद्ध विजय की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शुक्रवार (24 अक्तूबर) को नई दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें एक 200 रुपये मूल्यवर्ग का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया गया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह सिक्का राष्ट्र को समर्पित किया, जो रानी चेन्नम्मा के साहस, देशभक्ति और अदम्य जज्बे की याद दिलाता है।
रानी चेनम्मा की विजय के 200 वर्ष पूरे
आज के कर्नाटक के कित्तूर में रानी चेन्नम्मा ने ऐतिहासिक विजय की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक साल तक चलने वाला राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव, नई दिल्ली में एक भव्य समापन समारोह के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन वर्षभर चले राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों के समापन समारोह के रूप में सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
रानी चेन्नम्मा का अदम्य साहस आज भी प्रेरणा
इस दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत ने निडर रानी की चिरस्थायी विरासत पर विचार किया और इस बात पर जोर दिया कि उनका जीवन भारतीयों को अटूट समर्पण और साहस के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहा, “इस प्रेरणादायक अवसर पर हम रानी चेन्नम्मा के असाधारण चरित्र से राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और सेवा को नवीनीकृत करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। उनकी वीरता और संघर्ष हमें याद दिलाते हैं कि देश की सेवा में कभी संकोच नहीं करना चाहिए।”
रानी चेनम्मा वो अमर नाम, जिन्होंने अपने राज्य की एक छोटी सेना लेकर ब्रिटिश सैनिकों को परास्त किया और किट्टूर जहाँ की वो रानी थीं, वहाँ साल 1824 की विजय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ हेतु एक प्रेरणा बन गई।
आज दिल्ली में रानी चेनम्मा की विजय के 200 वर्ष पूरे होने के… pic.twitter.com/2deMp2Wn5T
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) October 24, 2025
उन्होंने कहा कि किट्टूर की यह वीरांगना आज भी देशवासियों के लिए त्याग, संघर्ष और नारी शक्ति की प्रतीक हैं। अधिकारियों ने बताया कि सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में 200 रुपये मूल्य का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया गया।
साल भर चला स्मरणोत्सव, विरासत ने जुड़ा जनमानस
वहीं केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि साल भर चलने वाले इस स्मरणोत्सव ने पूरे भारत में आयोजित प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, व्याख्यानों और प्रतियोगिताओं के माध्यम से रानी चेन्नम्मा की विरासत के साथ जनता के जुड़ाव को और गहरा किया है। उन्होंने कहा कि रानी चेन्नम्मा के विद्रोह ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की “नैतिक नींव” रखी और महिलाओं की पीढ़ियों को दृढ़ संकल्प और सहानुभूति के साथ नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया।