इसलिए कैंसिल किए रिसर्च टूर
विपक्षी सदस्यों ने दूसरे चरण के दौरे का बहिष्कार किया, जो नौ नवंबर को शुरू हुआ था और 14 नवंबर को समाप्त होने वाला था। समिति ने शनिवार को गुवाहाटी में और सोमवार को भुवनेश्वर में अपनी बैठकें कीं। जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि मेरे कई साथियों ने हमें बताया कि महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके अलावा कई राज्यों में उपचुनाव भी होने हैं। इसलिए वे बैठक में शामिल नहीं हो पाए। उनके अनुरोध पर मैंने अध्ययन दौरे को स्थगित करने का निर्णय लिया है।
जगदंबिका पाल ने खुलकर की बात
जगदंबिका पाल ने कहा कि कोलकाता, पटना और लखनऊ का अध्ययन दौरा पुनर्निर्धारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि समिति के सभी सदस्य विचार-विमर्श में भाग लें। सोमवार को भुवनेश्वर में और दो दिन पहले गुवाहाटी में भी जेपीसी की बैठक ‘बहुत सफल’ रही। उन्होंने कहा कि इससे पहले दिन में जेपीसी ने ओडिशा सरकार, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, राज्य वक्फ बोर्ड, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य विभिन्न हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ आठ घंटे से अधिक समय तक विचार-विमर्श किया।
अब तक बैठकों में क्या रहा जानिए
जगदंबिका पाल ने कहा कि हितधारकों ने प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर अपनी राय दी है। हमारी संयुक्त संसदीय समिति विचारों का परीक्षण करेगी और अपनी रिपोर्ट में सामग्री को शामिल करेगी। ओडिशा के हितधारकों की बात सुनना जेपीसी की जिम्मेदारी है और वह ऐसा कर रही है। बैठक में विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, कोई शामिल हुआ है या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
आगामी संसद सत्र में लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
वक्फ बिल पर गठित जेपीसी के अध्यक्ष ने कहा कि समिति संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के अंतिम कार्य दिवस तक अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप देगी। जेपीसी के विपक्षी सदस्यों ने इस दौरे का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। उनका आरोप था कि समिति के अध्यक्ष मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं तथा दौरा स्थगित करने के उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया।
दिल्ली 25 बैठकें, 100 घंटे से अधिक चर्चा
जेपीसी के सदस्य दिलीप सैकिया ने बताया कि इस साल अगस्त में जेपीसी के गठन के बाद से समिति ने केवल दिल्ली में 25 औपचारिक बैठकों में विभिन्न हितधारकों के साथ 100 घंटे से अधिक समय तक चर्चा की है। उन्होंने कहा कि हमने वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोगों और मुस्लिम संस्थानों/संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों से विचार और सुझाव लिए हैं।
सांसद ने कहा कि समिति ने कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात समेत विभिन्न राज्यों के दौरे का अपना पहला चरण पूरा कर लिया है। सैकिया ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने शनिवार को गुवाहाटी से शुरू हुए दूसरे चरण के दौरे का बहिष्कार किया जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
समिति की अन्य सदस्य अपराजिता सारंगी ने कहा कि भारत में लगभग 38 लाख एकड़ भूमि वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है। हमें शासन प्रणाली और प्रशासन को सुधारने की जरूरत है। भुवनेश्वर से सांसद सारंगी ने बताया कि आज की बैठक में 16 संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कई व्यक्तियों ने भी समिति के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए।